Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
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रवात लग्न नक्षत्र विचार खात काम शुरू करने हेतु नक्षत्र का निर्धारण करने के लिए वास्तुसार में उल्लेख किया गया हैभिगु लग्गे बुहु दसमे दिणयरु लाढ़े निहाफहे किन्दे। जइ गिहनीमारंभो ता वरिस सयाउयं हवइ।।28 || दसमचउत्थे गुरुससि सणिकुजलाहे अ लच्छि वरिस असी। इग ति चउ छ मुणि कमसो गुरुसणिभिगुर विबुहम्मिसयं।।29।। सुक्कु दए रवितइए मंगलि छ? अ पंचमे जीवे । इउ लग्गकए गेहे दो वरिससयाउय रिद्धी।। 30।। सगिहत्थो ससि लग्गे गुरुकिन्दे बलजुओ सुविद्धिकरो। कूरट्टम अइअसुहा सोमा मज्झिम गिहारम्भे ।। 3 ।।।
वास्तुसार प्र. । शुक्र लग्न में बुध दसवें स्थान पर, सूर्य 11वें स्थान पर तथा गुरु केन्द्र (1-4-7-10 स्थान पर) पर हो तो नवीन वास्तु का खात काम शुरू करने पर उस मकान की आयु 100 वर्ष होती है।
गुरु एवं चन्द्र 10वें एवं 4वें स्थान पर हों, 11वें स्थान पर शनि तथा मंगल हो तो ऐसे नक्षत्र में गृहारम्भ करने पर 80 वर्ष तक धन-संपत्ति स्थिर रहती
है।
गुरु पहले स्थान में, शनि उरे में, शुक्र 4वें, रवि 6वें में तथा बुध 7वें स्थान में होने पर गृहारम्भ किया जाये तो 100 वर्ष तक घर में वैभव, धनलक्ष्मी स्थिर रहती है। ___ शुक्र लग्न में, सूर्य तीसरे में, मंगल 6वें में, गुरु 5वें में होने पर खातमुहूर्त पूर्वक गृहकार्यारम्भ करने पर 200 वर्ष तक घर सुख, संपदायुक्त, समृद्धिपूर्ण रहता है।
स्वगृही चन्द्र लग्न में हो अर्थात् कर्क राशि का चन्द्रमा लग्न में हो तथा गुरु केन्द्र (1-4-7-10वें स्थान) में बलवान होकर रहा हो तो ऐसे समय गृहकार्यारम्भ करने पर घर में प्रतिदिन अधिकाधिक वृद्धि होती है।
खात मुहूर्त एवं गृहारम्भ के समय लग्न से आठवें स्थान में क्रूर ग्रह होने पर अतिअशुभ फल होता है तथा सौम्य ग्रह होने पर मध्यम फल प्राप्त होता