Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur

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Page 276
________________ वास्तु चिन्तामणि सकलीकरण हिन्दी पद्यानुवाद - गणधराचार्य श्री 108 कुन्थुसागर जी महाराज हाथ में जल लेकर शरीर शुद्धि करें सौगंध्य संगत मधुव्रतझंकृतेन संवर्ण्यमानमिवगन्धमनिन्द्यमादौ । आरोपयामिविबुधेश्वरवृन्दवन्द्यं पादारविन्दमभिवन्द्य जिनोत्तमानाम् । । ॐ ह्रीं अमृत अमृता अमृत व अमृतं स्रावय - स्रावय सं सं क्लीं क्लीं ब्लूं ब्लूं द्रां द्रां ह्रीं द्रीं द्रावय द्रावय सं हं झं क्ष्वीं हंसः 249 स्वाहा । जल लेकर वस्त्र शुद्धि निम्न मंत्र से करें - ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्र: असिआउसा मम् सर्वांग वस्त्रशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा । निम्न मंत्र से भूमि शुद्धि करें ॐ ह्रीं वायुकुमारेण सर्वविघ्नविनाशाय महींपूतां कुरु कुरु हुं फट् स्वाहा । ॐ क्षां क्षीं क्षं क्षौं क्षः ॐ ह्रीं मेघकुमाराय धरा प्रक्षालय प्रक्षालय अं हं तं पं स्वं झं झं यं क्षः फट् स्वाहा । - तिलक लगाना 'ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं हः मम सर्वांगशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा । श्री मन्मन्दर सुन्दरे (मस्तक) शुचिजले धोतैः सदर्भाक्षतैः, पीठे मुक्तिवरं निधाय रचितं त्वत्पादपद्मस्त्रजः, इन्द्रोऽहं निज भूषणार्थ कमिदं यज्ञोपवीत दधे मुद्रा कंकणशेखराण्यपि तथा जन्माभिषेकोत्सवे । यज्ञोपवीत धारण करना ॐ नमः परमशान्ताय शांतिकराय पवित्रिकरणायाहं रत्नत्रयस्वरूपं यज्ञोपवीतं दधामि मम गात्रं पवित्रं , भवतु, अहं नमः स्वाहा । मुद्रिका धारण करना ॐ ह्रीं रत्नमुद्रिकां अवधारयामि स्वाहा ।

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