Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
मुकुट धारण करना ॐ हीं मुकुट अवधारयामि स्वाहा।
हार पहनना ॐ हीं हार अवधारयामि स्वाहा।
कुण्डल पहनना ॐ ह्रीं कुंडलं अवधारयामि स्वाहा।
पूर्व दिशा में पुष्प क्षेपण ॐ हाँ णमो अरिहंताणं हां पूर्वदिशात् आगत विघ्नान-निवारय-निवारय, माम रक्ष-रक्ष स्वाहा।
दक्षिण दिशा में ऊँ ह्रीं णमो सिद्धाणं ही दक्षिणदिशात् आगत। विघ्नान-निवारय-निवारय, माम् रक्ष-रक्ष स्वाहा।
पश्चिम दिशा में ॐ हूं णमो आयरियाणं हूं पश्चिमदिशात् आगत विघ्नान-निवारय-निवारय, माम रक्ष-रक्ष स्वाहा।
उत्तर दिशा में ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं हौं उत्तरदिशात् आगत विघ्नान्-निवारय-निवारय, माम् रक्ष-रक्ष स्वाहा।
सर्व दिशाओं में ॐ ह्र: णमो लोएसव्वसाहूणं, ह: सर्वदिशात् आगत
विघ्नान्- निवारय-निवारय, माम् रक्ष-रक्ष स्वाहा। निम्नलिखित मंत्र पढकर अपने ऊपर पुष्पांजलि क्षेपण करें। ॐ हूं फट् किरिटय-किरिटय घातय- घातय परविघ्नान् स्फोटय-स्फोटय सहस्रखण्डान् कुरु-कुरु परमुद्रान्-छिन्द-छिन्द परमन्त्रान् भिन्द-भिन्द वा: वा: हूं फट् स्वाहा।
देवों का आगमन चतुर्णिकायामर संघ एष आगत्य-यक्षे विधिना नियोगम्। स्वीकृत्तभक्त्या हि यथार्हदेशे सुस्था भवत्वान्हि कल्पनायाम् हे जिनभक्तन्चतुर्णिकाय देव आगच्छ - आगच्छ तिष्ठ तिष्ठ
पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
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