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________________ 250 वास्तु चिन्तामणि मुकुट धारण करना ॐ हीं मुकुट अवधारयामि स्वाहा। हार पहनना ॐ हीं हार अवधारयामि स्वाहा। कुण्डल पहनना ॐ ह्रीं कुंडलं अवधारयामि स्वाहा। पूर्व दिशा में पुष्प क्षेपण ॐ हाँ णमो अरिहंताणं हां पूर्वदिशात् आगत विघ्नान-निवारय-निवारय, माम रक्ष-रक्ष स्वाहा। दक्षिण दिशा में ऊँ ह्रीं णमो सिद्धाणं ही दक्षिणदिशात् आगत। विघ्नान-निवारय-निवारय, माम् रक्ष-रक्ष स्वाहा। पश्चिम दिशा में ॐ हूं णमो आयरियाणं हूं पश्चिमदिशात् आगत विघ्नान-निवारय-निवारय, माम रक्ष-रक्ष स्वाहा। उत्तर दिशा में ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं हौं उत्तरदिशात् आगत विघ्नान्-निवारय-निवारय, माम् रक्ष-रक्ष स्वाहा। सर्व दिशाओं में ॐ ह्र: णमो लोएसव्वसाहूणं, ह: सर्वदिशात् आगत विघ्नान्- निवारय-निवारय, माम् रक्ष-रक्ष स्वाहा। निम्नलिखित मंत्र पढकर अपने ऊपर पुष्पांजलि क्षेपण करें। ॐ हूं फट् किरिटय-किरिटय घातय- घातय परविघ्नान् स्फोटय-स्फोटय सहस्रखण्डान् कुरु-कुरु परमुद्रान्-छिन्द-छिन्द परमन्त्रान् भिन्द-भिन्द वा: वा: हूं फट् स्वाहा। देवों का आगमन चतुर्णिकायामर संघ एष आगत्य-यक्षे विधिना नियोगम्। स्वीकृत्तभक्त्या हि यथार्हदेशे सुस्था भवत्वान्हि कल्पनायाम् हे जिनभक्तन्चतुर्णिकाय देव आगच्छ - आगच्छ तिष्ठ तिष्ठ पुष्पांजलिं क्षिपेत्।
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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