Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
आचार्य वसुनन्दि ने अपने ग्रंथ प्रतिष्ठासार में इक्यासी पद के वास्तु चक्र का पूजन बताया है। प्रथम भूमि को पवित्र करके वास्तु पूजा करनी चाहिए। अग्र भाग में वज्राकृतिवाली तिरछी और खड़ी 10 - 10 रेखाएं खींचे! इस पर पंचवर्ण के चर्ण से 81 पद वाला अच्छा मंडल बनाना चाहिए।
मंडल के बीच के नौ कोठों में आठ पाखुड़ी का कमल तथा उसके मध्य में अरिहंत परमेष्ठी को णमोकार मंत्र पूर्वक स्थापित करना व पूजन करना चाहिए। कमल के कोने वाली चार पाखुड़ियों में जया, विजया, जयंता तथा अपराजिता देवियों की स्थापना कर पूजा करें। चार दिशा वाली पांखुड़ियों में सिद्ध, आचार्य उपाध्याय एवं साधु की स्थापना कर पूजन करना चाहिए। कमल के ऊपर के 16 कोठे में 16 विद्यादेवियां तथा इनके ऊपर के 24 कोठों में 24 शासन देवताओं को तथा इनके ऊपर के 32 कोठों में इन्द्रों को क्रमश: स्थापित करना चाहिए।
तदनन्तर अपने-अपने देवों के मन्त्राक्षर पूर्वक गंध, पुष्प, अक्षत, दीप, धूप, फल, नैवेद्य आदि चढ़ाकर पूजन करें। दस दिक्पाल तथा 24 यक्षों की भी यथाविधि पूजा करना चाहिए। जिनबिम्ब पर अभिषेक तथा अष्ट प्रकार पूजा करना चाहिए।
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