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________________ 237 वास्तु चिन्तामणि आचार्य वसुनन्दि ने अपने ग्रंथ प्रतिष्ठासार में इक्यासी पद के वास्तु चक्र का पूजन बताया है। प्रथम भूमि को पवित्र करके वास्तु पूजा करनी चाहिए। अग्र भाग में वज्राकृतिवाली तिरछी और खड़ी 10 - 10 रेखाएं खींचे! इस पर पंचवर्ण के चर्ण से 81 पद वाला अच्छा मंडल बनाना चाहिए। मंडल के बीच के नौ कोठों में आठ पाखुड़ी का कमल तथा उसके मध्य में अरिहंत परमेष्ठी को णमोकार मंत्र पूर्वक स्थापित करना व पूजन करना चाहिए। कमल के कोने वाली चार पाखुड़ियों में जया, विजया, जयंता तथा अपराजिता देवियों की स्थापना कर पूजा करें। चार दिशा वाली पांखुड़ियों में सिद्ध, आचार्य उपाध्याय एवं साधु की स्थापना कर पूजन करना चाहिए। कमल के ऊपर के 16 कोठे में 16 विद्यादेवियां तथा इनके ऊपर के 24 कोठों में 24 शासन देवताओं को तथा इनके ऊपर के 32 कोठों में इन्द्रों को क्रमश: स्थापित करना चाहिए। तदनन्तर अपने-अपने देवों के मन्त्राक्षर पूर्वक गंध, पुष्प, अक्षत, दीप, धूप, फल, नैवेद्य आदि चढ़ाकर पूजन करें। दस दिक्पाल तथा 24 यक्षों की भी यथाविधि पूजा करना चाहिए। जिनबिम्ब पर अभिषेक तथा अष्ट प्रकार पूजा करना चाहिए। T AMPITHORITAmerchestants RANpmवमाIPianRNA .. ... .......उधरमsiminatingal महासागanliatan * * 1122 दाजाला art ar महाक मा . 16 समाजविसस्मिानाधिश रियामाबजामोधरामगनपरेसम्म Maharliatel UNTAINMENT महामारा दिमत कर ATHIममारना पादितम्या COM DIHDSPLE andrSH HAS .................... HEALESE IS Needsident RECEdurmerintiy :1st perceHVANImananesannel ...KETHAwkuterinetratapricureal
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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