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वास्तु चिन्तामणि
वास्तु विधान करने की विधि
इस विधान हेतु इन्द्राणी व प्रतिष्ठाचार्य स्नानादिक से निवृत्त हो शुद्ध वस्त्र ( धोती- दुपट्टा) पहनें, मन्दिर में इर्यापथ शुद्धि करके भगवान के दर्शन करें। जिस स्थान भूमि पर यह विधान होना है वहाँ पर जिन भगवान की प्रतिमा लें जाकर वेदी में विराजमान करें या उच्चासन पर वेदी को तोरण आदि से सजाएँ। माँडला माँड कर इन्द्र- इन्द्राणी सकलीकरण, इन्द्र प्रतिष्ठा, मण्डप शुद्धि आदि करने के बाद पंचामृत अभिषेक करके जिन भगवान को मण्डल पर विराजमान करें। फिर सभी मिलकर देव, शास्त्र, गुरु की पूजा करें। अन्य अर्घ चढ़ाएँ और यह विधान प्रारम्भ करें। विधान समाप्त होने पर विसर्जन कर दें, होमादि करें।
विधान हेतु पूजन सामग्री
65 पानी नारियल या हरे फल या 7 सुपारी या बादाम, शक्ति अनुसार, दो किलो चावल, 100-100 ग्राम बादाम, छुहारा, सुपारी, गोले की चिटक, काजू, बड़ी इलायची, कपूर 50 ग्राम, लौंग 50 ग्राम छोटी इलायची, 10 फूल मालाएँ, 500 ग्राम घी, 75 जनेऊ एवं अलग-अलग भक्ष्य पदार्थ या घर पर बनी गोले की कोई मिठाई आदि ।
पंचामृत अभिषेक की सामग्री
शुद्ध जल, दूध, दही, घी, चन्दन, केसर, फलों का रस, चावल, कपूर, चन्दन का बुरादा, जायपत्री, इक्षुरस, सर्वोषधि, हरे फल, फूल आदि ।
वास्तु विधान मंडल
ऊपर लिखे अनुसार वास्तु पूजन के लिए 49 वास्तु देवताओं के वास्तु मंडल में 76 कोठे बनाना चाहिए। उसमें पूजन में और वास्तु देवता के नीचे लिखे अनुसार दिया हुआ नैवेद्य पदार्थ, अलग नैवेद्य पात्र में चढ़ावें ।