Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
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उदाहरण- शीतलचन्द्र के लिये श के खाने में संगत अंक 3 है
शीतलचन्द्र की नामाक्षर संख्या 5 है।
इनका आपस में गुणा करने पर
3 x 5 = 15 गुणनफल गुणनफल में 8 का भाग देवें ।
15 + 8 = 1 लब्ध आया तथा शेष 7 रहा ।
ध्वजादि क्रम से 7वीं आय गज आय होगी।
वास्तु की आय का मनुष्य की आय के साथ मिलान करके यह देखना चाहिये कि वह शुभ है या अशुभ। उपरोक्त उदाहरण में शीतलचंद्र की आय 7 है अर्थात् गज आय है ।
= 3 हाथ
शीतलचंद्र के मकान की आय का आकलन शीतलचंद्र के मकान की लम्बाई = 9 हाथ शीतलचंद्र के मकान की चौड़ाई लम्बाई × चौड़ाई = क्षेत्रफल 9 हाथ x 3 हाथ = 27 वर्गहाथ क्षेत्रफल में 8 का भाग देने पर,
2783 लब्ध तथा शेष 3 रहा
अर्थात् तीसरी आय सिंह है ।
यह आय गृहपति की आय का भक्ष्य हैं। अतः मृत्युकारक होने से अशुभ
है। अब यही मकान यदि एक एक अंगुल अधिक कर दिया जाये तो
शीतलचंद्र के मकान की आय का आकलन
शीतलचंद्र के मकान की लम्बाई = 9 हाथ 1 अंगुल शीतलचंद्र के मकान की चौड़ाई = 3 हाथ 1 अंगुल लम्बाई × चौड़ाई = क्षेत्रफल
( 9 हाथ + 1 अंगुल ) x (3 हाथ + 1 अंगुल) 217 × 73 = 18841 गुणनफल
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