Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
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जल एवं जलकूप विचार Provision for Water & Borewells जल प्रत्येक प्राणी की अनिवार्य आवश्यकता है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। मनुष्यों को अपने दैनिक उपयोग के लिए जल की आवश्यकता होती है। यह कुएं, नलकूप, हैण्डपम्प अथवा नल प्रणाली से प्राप्त किया जाता है। यदि नल प्रणाली न हो अथवा अतिरिक्त जल की आवश्यकता पड़ती हो तो ऐसी स्थिति में जल के लिए अतिरिक्त व्यवस्था के रूप में कुएं अथवा नलकूप या हैण्ड पम्प का आश्रय लिया जाता है। वास्तु निर्माण करते समय यह अवश्य ही ध्यान में रखना चाहिए कि नलकूप या कुआ कहां खोदा जाए।
कुंआ खोदने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त दिशा पूर्व, उत्तर या ईशान होती है। अन्य दिशाओं में कुआ खोदना विपरीत फलदायक होता है। कुएं से पानी निकालते समय मुख उत्तर या पूर्व की ओर होना चाहिए।
साधारणत: 40 हाथ से कम गहरे एवं 4 हाथ से कम चौड़े कुएं को कूपिका कहते हैं। कुएं 40 हाथ से 400 हाथ तक के भी खोदे जा सकते हैं। कुंआ जितना गहरा होगा तथा उसमें जितना अधिक पानी होगा वह उतना ही श्रेष्ठ माना जाता है।
वर्तमान में जल एकत्र करने के लिए भूमिगत टांके बनाए जाते हैं। ये टांके भी ईशान दिशा अथवा उत्तर या पूर्व में बनाना चाहिए। कुंए या जल टांका बनाते समय यह ध्यान रखें कि यह मुख्य दरवाजे के सामने न हो। कूपे वास्तोर्मध्यदेशेऽर्थनाशस्तै शान्यादौ पुष्टिरैश्वर्य वृद्धिः। सूयोर्नाश: स्त्रीविनाशो मृतिश्चसम्पतपीड़ा शत्रुत: स्याच्च सौरव्यम्।।
- विश्वकर्मा प्रकाश