Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
तैयार वास्तु का क्रय विचार Purchase of Ready Built Vaastu अनेकों अवसरों पर गृह स्वामी अपनी तैयार वास्तु को बेचने का इच्छुक होता है। आजकल अनेकों गृहनिर्माण संस्थाएं भी भवन तैयार करके बेचती हैं। ऐसे समय में हडबड़ी में कोई भी वास्तु नहीं खरीदना चाहिए। वास्तु शास्त्र की व्याख्या के अनुरूप ही वास्तु बनी होने पर क्रय करना उचित है। यदि वास्तुशास्त्रज्ञ से परामर्श करके वास्तु क्रय की जाये तो उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त होते हैं।
तैयार गृहों को बेचने का प्रसंग गृहस्वामी की आर्थिक या पारिवारिक परेशानियों के कारण भी आता है। इसके अनेक कारण हो सकते हैं। मसलन वास्तु की ईशान दिशा की दीवाल कमजोर हो गई हो अथवा ईशान दिशा में शौचालय या रसोईघर हो। ईशान दिशा में सबसे ऊंचा भाग हो या ईशान दिशा का भाग कटा हो तो वास्तु बिकने के प्रसंग आ जाते हैं। यदि उपरोक्त वास्त दोषों को सुधार लिया जाए तो परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
दोषपूर्ण वास्तु नहीं खरीदनी चाहिए। निर्दोष वास्तु ही क्रेता के लिए लाभकारक हो सकती है। निर्दोष वास्तु हो तथा उसके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर से आने जाने का मुख्य मार्ग हो तो उसे नि:संकोच क्रय किया जा सकता