Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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भूमि की गंध
Smell of Land
वृहत्संहिता में उल्लेख है
शस्तौषधि द्रुमलता मधुरा सुगन्धा स्निग्धा समान सुषिरा च मही नराणाम् । अप्यध्वनि श्रम विनोद मुपागतानां धत्ते श्रियं किमुत शाश्वत मन्दिरेषु ।।
वास्तु चिन्तामणि
जो भूमि अनेक प्रकार से प्रशंसनीय औषधि वृक्ष और लताओं से सुशोभित हो, मधुर स्वाद वाली हो, उत्तम सुगंध वाली हो, चिकनी हो, गड्ढों एवं छिद्रों से रहित हो, मार्ग श्रम को शांत करमन को आनंदित करने वाली हो, ऐसी भूमि पर ही वास्तु का निर्माण करना चाहिए ।
भूमि परीक्षा विधि
जमीन में छोटा सा गड्ढा करके मिट्टी निकालकर उसे सूंघना चाहिए। यदि सूंघने पर तली हुई चीजों के समान बास आती है तो वह जमीन उत्तम है। ऐसी जमीन पर वास्तु का निर्माण कर निवास करने वाले परिवार सुखी, समृद्धिशाली होते हैं तथा स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
यदि मिट्टी से अनाज सरीखी गंध आती है तो यह व्यापारी वर्ग को धनार्जन करने के लिए उपयुक्त रहती है।
यदि मिट्टी से मदिरा या सड़ी-गली चीजों की बास आती है तो यह उत्तम नहीं है। ऐसी जमीन पर निर्माण दरिद्रता को लाता है।
यदि जमीन में खून की गंध आती है तो इससे क्रूर भावना उत्पन्न होती हैं। ऐसी भूमि पर निर्माण कर निवास करने वाले लोग उग्र, जोशीले स्वभाव को धारण करते हैं।