Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
ऐसे भूखण्ड जिनके सिर्फ पश्चिमी पार्श्व में सड़क हो वे भूखण्ड पश्चिम भूखण्ड कहलाते हैं। ऐसे भूखण्डों का विशिष्ट प्रभाव संतति अर्थात् पुत्रों पर देखा जाता है। ऐसे भूखण्ड के धारकों को निम्नलिखित विशिष्टताओं को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है ताकि विपरीत प्रभाव से सुरक्षा हो तथा स्वतः के लिए हितकारी परिणामों की प्राप्ति हो । (चित्र प - 1 )
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पश्चिम भूखण्ड
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सड़क
चित्र प. - 1
प्रवेश एवं दरवाजे की अपेक्षा
यदि पश्चिम में प्रमुख द्वार हो तथा उत्तर में रिक्त भूखण्ड हो तो उत्तरी ईशान में पृथक गेट लगवाना चाहिये ।
यदि मध्य की अंतराल दीवार तोड़ना हो तो पश्चिमी वायव्य में पश्चिम मुखी पृथक गेट लगाएं।
कम्पाउन्ड वाल मुख्य प्रवेश से ऊंची या नीची इच्छानुसार रख सकते हैं। निर्माण कार्य पश्चिम की ओर से आरम्भ करें। यह शुभ फलदायी है। एकदम पश्चिम में मुख्य द्वार या दरवाजा शुभ परिणाम देता है। पश्चिम की कम्पाउन्ड वाल पूर्व की अपेक्षा ऊंची रखना शुभ पश्चिम का दरवाजा वायव्य की ओर होने पर मुकदमेबाजी, शत्रुता, अपयश, धनहानि इत्यादि संताप होते हैं।
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पश्चिम के दरवाजे का मुख नैऋत्य में होने पर दीर्घ रोग, अकालमृत्यु तथा आर्थिक क्षति होने की आशंका रहती है ।
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