Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
यदि पश्चिम में मुख्य प्रवेश हो तथा पश्चिमी पार्श्व की सड़क बढ़कर उत्तरी ईशान को जाती हो तो यह मकान अति शुभफलदायी सिद्ध होगा । (चित्र वा - -5)
11.
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2.
3.
4.
5.
प्रवेश
सड़क
सड़क
W
N
S
चित्र वा - 5
113
E
मार्गारम्भ की अपेक्षा
पश्चिमी वायव्य में मार्गारम्भ होने से नाम एवं ख्याति की प्राप्ति
होती है।
उत्तरी वायव्य में मार्गारम्भ होने से महिलाओं को रोग होते हैं।
विस्तार की अपेक्षा
वायव्य में किंचित विस्तार अच्छा है यदि उसका आकार वर्गाकार या आयताकार हो। नैऋत्य से वायव्य की ओर कोणात्मक विस्तार न हो । प्राकृतिक रूप से वायव्य कुछ कटा हो तो शुभ है।
उत्तरी वायव्य में विस्तार होने से मुकदमे बाजी, डकैती, अग्नि दुर्घटना, मानसिक चिन्ता तथा पुरुष वंश का हास होता है । (चित्र वा - 6 ) यदि उत्तरी वायव्य में विस्तार हो अथवा वायव्य में कुंआ या गड्ढा हो या वायव्य में चढ़ाव हो या बंद कर दिया हो तो दिवालियापन की स्थिति आ सकती है। (चित्र वा - 6 )
वायव्य में विस्तार हो या वायव्य बन्द कर दिया गया हो तो मानसिक असंतुलन, सनकीपन तथा आत्महत्या की प्रवृत्ति उत्पन्न होती हैं।