Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
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शयन कक्ष Bed Rooms
वास्तु रचना में शयन कक्ष की रचना अलग से करना चाहिए। शांत मन होकर पूर्ण निद्रा ले सकने के लिए यह आवश्यक है। शयन कक्ष में निरर्थक वार्तालाप, गपशप आदि करने से कक्ष का वातावरण दूषित होता है जिसका प्रभाव शयन कक्ष उपयोगकर्ता पर होता है। शयन कक्ष वास्तु शास्त्र के अनुकूल दिशाओं का ध्यान रखकर ही बनाना चाहिए। ऐसा न होने पर शयन करने वालों को दु:स्वप्न आते हैं अथवा ठीक से नींद नहीं आती। मन अशांत एवं अस्थिर हो जाता है। शारीरिक स्वास्थ्य भी उत्तम नहीं रहता है। ठीक से नींद न आने से प्रात: ताजगी महसूस नहीं होती। फलतः धर्माराधना तथा अन्य कार्यों का सम्पादन भली प्रकार नहीं हो पाता।
__शयन की उपयुक्त दिशा वास्तु पुरुष मण्डल में पुरुष का स्थान नैऋत्य में है अत: शयन के लिए यही स्थान सर्वोत्तम है। गृहस्वामी का शयन कक्ष नैऋत्य दिशा में ही बनाना उपयुक्त है। संतान प्राप्ति का योग भी इससे रहता है। दक्षिण दिशा में भी शयन कक्ष का निर्माण किया जा सकता है। शयन कक्ष में शैय्या दक्षिण या नैऋत्य में रखना चाहिए। पूर्व या उत्तर का भाग रिक्त रखना चाहिए।
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