Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
घर की समायोजना की जाए तो वह न केवल गृहिणी के बल्कि सारे परिवार के लिए समाधान कारक होगी।
दही मथने का स्थान
Room for Grinding Curd रसोई घर के पूर्व वाली जगह में दही मथने के लिए स्थान रखना उचित है। एक स्तम्भ में रस्सी बांधकर दही बिलोने से नवनीत (मक्खन) प्राप्त होता है। इसके लिए पर्याप्त जगह की आवश्यकता होती है जो कि रसोई घर में कभी-कभी नहीं हो पाती। आग्नेय दिशा से लगकर यह स्थान बनाने से वहां अग्नि की उष्णता के कारण जीवोत्पत्ति भी कम होती है। __ घी, तेल, गुड़ आदि दक्षिण आग्नेय दिशा में रखना चाहिए। घर में मिक्सी, ग्राइंडर आदि यंत्र यदि हों तो वे भी इसी दिशा में रखना उचित है। इससे सुपरिणाम प्राप्त होते हैं।
प्रसूति कक्ष
Delivery Room वर्तमान युग में प्रसव के लिए नारियां अस्पताल जाना सर्वोत्तम समझती हैं। किन्तु प्राचीन काल में यह सुलभ नहीं था। वर्तमान में भी अनेकों बार, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में प्रसव कार्य घर में ही संपादित कराना पड़ता है। अत: प्रसव के लिए एक पृथक कक्ष नैऋत्य दिशा में बनाया जाता था। नैऋत्य दिशा गूढ दिशा होने से इस उद्देश्य के लिए उत्तम है। नवजात शिशु एवं प्रसूता को अतिशीत, अतिग्रीष्म तथा बाह्य वातावरण के प्रदूषण से दूर रखना आवश्यक है। इस कारण अत्यंत कोमल एवं संवेदनशील नवजात शिशु एवं प्रसूता को नैऋत्य दिशा में रखा जाता है। यह दिशा शिशु को वैसा ही संरक्षण देती है जैसा माता गर्भस्थ शिशु को। इसी कारण जैनाचार्यों ने प्रसूतिगृह कक्ष के लिए नैऋत्य दिशा को सर्वश्रेष्ठ बताया है। ___अन्य वास्तु शास्त्रियों ने इस कार्य के लिए पूर्व दिशा भी उपयुक्त मानी है। पूर्वी ईशान की दिशा में प्रात: कालीन रविकिरणें नवजात शिशु एवं प्रसूता को शक्ति वर्धक होती हैं। चिकित्सक भी आजकल प्रसूतिकक्ष इसी दिशा में बनवाना श्रेष्ठतर समझते हैं।