Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
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गृहिणी प्रकरण
Chapter for Housewife बिना गृहिणी के गृह दीवारों की रचना मात्र है। गृहिणी द्वारा परिवार की सुविधा की दृष्टि से सुनियोजित गृह ही वास्तव में गृह कहा जाता है। सामान्यत: पुरुष वर्ग जीविकोपार्जन के लिए दिन में घर में नहीं रह पाते हैं। दिवस का अधिकतर समय महिलाएं घर में ही व्यतीत करती हैं। रसोई घर का कार्य भी सामान्यत: महिलाएं ही करती हैं। इस प्रकरण में कुछ विशेष उल्लेख उनके संदर्भ में ही किया गया है।
रसोई घर में चूल्हा या सिगड़ी आदि पूर्वी आग्नेय भाग में रखना सर्वोत्तम है। गृहणि भोजन निमार्ण करते समय पूर्वाभिमुख हो। पूर्वी दीवाल पर शेल्फ लगाकर चूल्हा जमाने से पूर्वी आग्नेय कोण के भाग में वृद्धि हो जाती है जो ठीक नहीं है। रसोई घर से पानी निकलने की दिशा पूर्व या उत्तर की ओर हो।
चक्की, मिक्सी आदि भारी उपकरण दक्षिणी, पश्चिमी या नैऋत्य भाग में दीवाल से लगाकर रखना उचित है। दीवाल से लगाकर रखना शक्य न होने पर नेऋत्य भाग में रखना उचित है। ___ लम्बी झाडू, लकड़ी आदि ऊंचे या लम्बे सामान पूर्वी या पूर्वोत्तर भाग में रखना उचित नहीं है। इन्हें नैऋत्य में ही रखना चाहिए।
पीने के पानी के बर्तन पूर्व या उत्तर में नीचे स्थान पर रखें, ऊंचा करके ईशान में न रखें। ऊंचा रखना हो तो नैऋत्य में रखें।
आलमारी, कपाट आदि नैऋत्य में पूर्व या उत्तराभिमुखी रखें। फ्रिज, भोजन-मेज सोफा आदि दक्षिणी या पश्चिमी कमरों में दीवाल से लगाकर रखें।
शयनकक्ष में शैय्या ऐसी बिछाएं कि कक्ष में पूर्व एवं उत्तर में अधिक रिक्त स्थान रखा जाए। फोल्डिंग पलंग दक्षिणी या पश्चिमी दीवाल पर खड़े करके रखे जा सकते हैं.! शयनकर्ता का सिर दक्षिण की ओर हो, उत्तर की ओर नहीं।
कमरों की सजावट इस तरह की जाए कि कमरों में उत्तर एवं पूर्व का अधिक भाग खाली हो बजाए दक्षिण एवं पश्चिम के।
उपरोक्त बातों का ध्यान महिलाएं रखें तो उनके गृहों में निरन्तर सुख शाति का प्रवाह आयेगा। वास्तु शास्त्र में वर्णित दिशाओं का विचार करके यदि