Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
इ. दो दीवालें जो समकोण बनाती हों उनके
लिए सीढ़ियां
दीवाल
पूर्व एवं उत्तर
पूर्व एवं दक्षिण
पश्चिम एवं दक्षिण
चढ़ाव
उत्तर से दक्षिण
पूर्व से पश्चिम
उत्तर से दक्षिण
उत्तर एवं पश्चिम पूर्व से पश्चिम
फर्श पर प्रवेश
अनुकूल दिशा में
नैऋत्य में
घूमकर अनुकूल दिशा में
नैऋत्य में
घूमकर अनुकूल दिशा में
151
वायव्य में
घूमकर अनुकूल दिशा में
निषेध
पूर्वी दीवाल से दूर
उत्तरी दीवाल
से दूर
फ. यदि दो मकानों के मध्य स्थान में संयुक्त उपयोग की सीढ़ियां आवश्यक हों तो वे इस तरह बनाएं कि वे पूर्व से पश्चिम की ओर चढ़ाव वाली हों अथवा उत्तर से दक्षिण की ओर चढ़ाव हो । पूर्व एवं उत्तर में बालकनी बनाकर उनमें से किसी में प्रवेश करते हुए सीढ़ियां होना उत्तम है।
ग. सीढ़ियों के नीचे कोई महत्त्वपूर्ण कार्य करना उपयुक्त नहीं माना जाता । घ. सीढ़ियों की संख्या में 3 का भाग देकर शेष दो बचे तो उत्तम होता है।
ङ.
द्वार से घर जाने के लिए दायीं ओर से प्रवेश शुभ रहता है। घर में ऊपर चढ़ने के लिए भी सीढ़ियां चढ़ते हुए दायीं ओर घर रहना शुभ रहता है।
सीढ़ियों के विषय में प्रकरणों के अनुरूप स्थान पर संकेत दिए गए हैं उनका पालन करना गृहस्वामी के लिए हितकारी होगा।