Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
सौम्यं प्रत्यक्छिरोमृत्युर्वंशाद्यारुक्सुतार्तिदा। आक्छिरा: शयने विद्यादक्षिसुखसंपदः ।। पश्चिमे प्रबलाचिन्ताहानि मृत्युतथोत्तरे। स्वगेहेप्राक्छिराः सुप्याच्छवाशरेदक्षिणाशिराः।। प्रत्यक्छिरा: प्रवासेतुनोदक्सुप्यात्कदाचनः।।
अक्षय वास्तु पृ. 72 दक्षिण दिशा की ओर पाव करके नहीं सोना चाहिए। दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है। दक्षिण की ओर पाव करके सोना अर्थात् उत्तर की ओर सिर करके सोना मृत्यु को स्वत: आमन्त्रण देने जैसा है। दक्षिण की ओर पांव करके सोने से दुःस्वप्न तथा ठीक से नींद न आने की परेशानी होती है। मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। परिवार में व्याधि का आगमन होता है। मानसिक तनाव एवं चिन्ताएं बढ़ती हैं।
भारतीय परंपरा में शव को उत्तर की ओर सिर करके लिटाया जाता है। जीवित मनुष्य के लिए यह सर्वथा वर्जित माना जाता है।
पूर्व दिशा का स्वामी इन्द्र माना जाता है। सूर्योदय की दिशा पूर्व की तरफ पांव करके शयन करने से प्रात: कालीन सूर्य किरणों का लाभ मिलता है। ऊर्जा मिलने से चित्त प्रसन्न तथा मस्तिष्क शांत रहता है। अत: यह सर्वश्रेष्ठ दिशा है। विशेषकर विद्यार्थियों को तो इसी तरह सोना चाहिए।
पश्चिम दिशा वरुण की मानी जाती है। पश्चिम वायु प्रवाह की दिशा है। यह आध्यात्मिक चिंतन, ध्यान साधना के लिए शुभ होती है। पश्चिम दिशा में पैर रखकर शयन करने से अच्छा निद्रा आती है। वृद्धजनों के लिए यह उपयुक्त है।
उत्तर दिशा का स्वामी कुबेर माना जाता है। कुबेर धन का प्रतीक है। अत: उत्तर दिशा में पांव करके शयन करना शुभ है। उत्तर दिशा में विदेह क्षेत्र में विद्यमान बीस तीर्थंकरों का स्मरण महामंत्र णमोकार का जाप, चौबीस तीर्थंकरों का नामस्मरण प्रात: उठते ही उत्तर की ओर मुख करके ही किया जाता है अतएव दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से उठते ही उत्तर दिशा में मुख हो जाता है।
णमोकार मंत्र णमोअरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्व साहूणं।