Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
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रुपेण आग्नेय दिशा में निर्मित कक्ष में चूल्हा, सिगड़ी, स्टोव आदि भी आग्नेय दिशा में ही रखना चाहिए।
विभिन्न दिशाओं में रसोई घर के निर्माण का निम्न फल होता है।
कं. |
दिशा ईशान आग्नेय
अशुभ
पिशेष प्रगति अवरोध सर्वसुख, संपदा, समाधान
चोरी का भय
सर्वश्रेष्ठ
नैऋत्य
अशुभ
वायव्य
अशुभ
पूर्व
मध्यम
पश्चिम
अशुभ
धन नाश का भय
परेशानियों में वृद्धि कष्ट, शोक, अशाति, नीरस खाद्य कलह, वाद-विवाद, अशांति
अपयश, मृत्युभय
उत्तर
कलह
दक्षिण
अशुभ
महत्त्वपूर्ण संकेत रसोई बनाते समय स्त्रियों का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए। यह
आरोग्य वर्धक है। बाहर के द्वार से चूल्हा नहीं दिखना चाहिए। ऐसा होने पर परिवार को
पूर्ण हानि होने की संभावना है। 3. रसोई घर में उससे सम्बन्धित सामग्री, यंत्र यथा ग्राइंडर, मिक्सर, खल
बट्टा, ओखली आदि वहीं रखना चाहिए। यह सुख समाधान दायक
होता है। 4. रसोई घर में निरर्थक वार्तालाप करना अनिष्टकर होता है। अश्लील
वार्तालाप आदि रसोई घर में करने से वहां का वातावरण दूषित होता है। ऐसे भूखण्ड जिनमें उत्तर एवं पूर्व में सड़क हैं, उनमें ईशान में पाकशाला (रसोई घर) बनाने से पारिवारिक कलह तथा धन हानि का संताप भोगना पड़ता है।