Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
पुरानी सामग्री प्रयोग का निषेध Prohibitor of Using Old Materials
जैनाचार्यों ने नवीन वास्तु निर्माण करने के लिए पुरानी वास्तु की बची सामग्री को प्रयोग करने का निषेध किया है। सारी सामग्री नयी ही प्रयोग करना चाहिए।
पासाय कूव वावी मसाण रायमंदिराणं च। पाहण इट्ठ कट्ठा सरिसवमत्ता वि वज्जिज्जा।।
- वास्तुसार प्र. । गा. 152 अपना गृह बनाने के लिए सदैव ध्यान रखें कि देवमन्दिर, कुंआ, श्मशान, मठ, राजप्रासाद आदि के पत्थर, ईंट, लकड़ी आदि को किचितमात्र भी अपनी वास्तु निर्माण के लिए उपयोग में नहीं लाना चाहिए।
अन्यवास्तुच्युतं द्रव्यमन्यवास्तौ न योजयेत्। प्रासादे न भवेत् पूजा गृहे च न वसेद् गृही।।
- समरांगण सूत्रधार दूसरे मकान की गिरी हुई लकड़ी, पाषाण, ईट, चूना आदि अपने मकान या कोई भी अन्य वास्तु, मन्दिर आदि के निर्माण के काम में नहीं लाया जाना चाहिए। यदि ऐसा किया जाता है तो मन्दिर में पूजा, अर्चना, अभिषेक आदि कार्यों में कमी होती जाती है। मकान में ऐसा किये जाने पर वास्तुस्वामी गृह में टिक नहीं पाता तथा शनै: शनै: उसका वंशक्षय होता है।