Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
View full book text
________________
वास्तु चिन्तामणि
यदि उत्तर में मुख्य प्रवेश हो तथा पूर्व की ओर से निर्माण कार्य आरम्भ किया जाये एवं दक्षिण में उत्तर से अधिक रिक्त स्थान रखा जाये तो इससे पैतृक संपत्ति के स्वामित्व में निरन्तर परिवर्तन होते हैं तथा परेशानियां आती हैं।
2.
3. यदि उत्तर में मुख्य प्रवेश हो, पूर्वी सीमा से निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जाये तथा पश्चिमी नैऋत्य में दरवाजा हो तो निरन्तर अस्थिरता के साथ लगातार व्यापार में घाटा होता है, अंततः प्रबन्धन में परिवर्तन की स्थिति बन जाती है। (चित्र वा - 3 )
4.
5.
6.
7.
सड़क
सड़क
111
प्रवेश
गेट
चित्र वा - 3
उत्तर में मुख्य प्रवेश हो, आग्नेय में बढ़ाव हो वायव्य में भी बढ़ाव हो तथा दक्षिण एवं पश्चिम दिशाओं में दरवाजे हों तो पारिवारिक वैमनस्य, पति - पत्नी, सास- बहू, पिता-पुत्र में मतभेद, घर में कलह, अशांति, अग्निभय, मृत्युभय का दुख भोगना पड़ता है।
मुख्य प्रवेश उत्तर में हो तथा पूर्वी सीमा से निर्माण कार्य आरम्भ हो तथा पूर्वी दीवालें अनियमित आकार की हों तो संतान अपाहित होने का दुख
होगा ।
यदि
प्रवेश उत्तर में ही रखना हो तो मकान पूर्वी पार्श्व के समकक्ष बनाएं, कम न बनाएं।
मुख्य
पश्चिम में मुख्य प्रवेश होने पर यदि उत्तरी एवं पूर्वी सीमाओं से निर्माण कार्य आरम्भ किया जाए तो निवासी कर्जदार होंगे तथा मकान नीलाम होने की भी नौबत आ सकती है। (चित्र वा- -4)