Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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1.
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3.
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3.
क्र.
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7
तल कां
ऊंचापन
अन्य दिशाएं
वायव्य, ईशान दक्षिण, आग्नेय
नैऋत्य
आग्नेय
नैऋत्य
आग्नेय
दक्षिण
पश्चिम
तल की अपेक्षा
तल का नीचापन
आग्नेय
आग्नेय
ईशान, वायव्य
उत्तर
शुभ
अन्य
सभी कमरों में
आग्नेय नीचा
उत्तर में अधिक रिक्त स्थान
पूर्व में अधिक रिक्त स्थान
वास्तु चिन्तामणि
परिणाम
दरिद्रता, रोग
संतति अवरोध, वंशनाश
अग्निभय, शत्रुता रंजिश, चोरी
शुभ
शुभ
शुभ
पूर्व
दरवाजे की अपेक्षा
पूर्वी आग्नेय दिशा में दरवाजे रखने पर अग्निभय, चौरभय एवं शत्रुता का दुख होगा।
यदि कमरे में उत्तर, पूर्व या ईशान की ओर कोई दरवाजा न हो तो आप या तो पश्चिमी वायव्य में दरवाजे लगाएं अथवा दक्षिणी आग्नेय में । किसी एक दिशा में दरवाजे लगाएं, दोनों में नहीं।
दरवाजे शुभ दिशाओं में रखें! -
शुभ
कोण की अपेक्षा
पूर्व में पथ का कटा हुआ होना तथा उत्तर के मकानों का ईशान में कटा हुआ होना शुभ परिणाम देता है।
विदिशाओं के कोण सही होना चाहिये। इससे शुभ प्रभाव होगा।
ईशान कोण कुछ बड़ा अथवा एकदम सही हो तथा भूखण्ड में नीचा धरातल हो तो
है ।