Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
दक्षिण में प्रवेश हो, पूर्वी तथा पश्चिमी पार्श्व खुले होकर सामने आंगन में आच्छादित चबूतरा हो, चबूतरे के किसी भी तरफ तीन फुट ऊंची दीवाल हो तो आवागमन पूर्वावर्ती अथवा दक्षिणावर्ती रखना चाहिये । आग्नेय एवं पश्चिम से आवागमन अवरोध करें।
निर्माण कार्य प्रारम्भ की अपेक्षा
3.
क्र.
1
2
3
4
5
8
प्रवेश
9
पश्चिमी व दक्षिण दक्षिणी सीमा
से
पूर्वी एवं
दक्षिण दक्षिणी सीमा
से
दक्षिण
दक्षिण
निर्माण
आरंभ
पूर्व
7 | पूर्व
पूर्वी एवं
उत्तरी सीमा
से
पूर्वी एवं
दक्षिणी सीमा
से
उत्तरी एवं पूर्वी सीमा से
पूर्व उत्तरी सीमा से
पूर्वी एवं उत्तरी सीमा से
पूर्व उत्तरी सीमा से
दक्षिण पूर्वी सीमा से
तल
पूर्व एवं उत्तर ईशान में कुंआ में नीचा
दक्षिण में नीचापन लिए रिक्त स्थान
अन्य
पश्चिम में नीचा रिक्त
स्थान
फर्श व
चबूतरा ईशान
में ऊंचा
पूर्वी भाग में सीढ़ी
दक्षिण में छपरी पोर्टिको
पश्चिम में कुंआ
दक्षिणी में रिक्त स्थान, आग्नेय में
कुंआ पश्चिम व दक्षिण में रिक्त स्थान
परिणाम
वैभवदायी
स्थान, कुंआ, पूर्वी आग्नेय में बढ़ाव
या मार्गारंभ
93
अकाल मृत्यु, दीर्घरोग
महिलाओं को
असाध्य रोग, बैधव्य,
प्रौढ़ आयु में उच्छृंखल संतान
अल्पायु में दीर्घ रोगी
पुरुष प्रमुख की अकाल मृत्यु
महिला की अकाल
मृत्यु
पति-पत्नी में शत्रुता, संतान रोगी व उद्दंड
महिलाओं की
दक्षिण में रिक्त स्थान, नैऋत्य में बढ़ाव पश्चिम में रिक्त पत्नी द्वारा पति की
दुर्घटना एवं अकाल मृत्यु
हत्या,
संतति
अवरोध