Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
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1. उद्योत - जिस द्विशाल घर के मुख के आगे दो अलिन्द और
खिड़कीयुक्त मंडप हो तथा पीछे एक अलिन्द और दाहिनी तरफ दो अलिन्द हों व स्तंभयुक्त दीवार भी हो,
ऐसे घर : दि मुख मा में हो: 2. बहुतेज - जिस द्विशाल घर के मुख के आगे दो अलिन्द और
खिड़कीयुक्त मंडप हो तथा पीछे एक अलिन्द और दाहिनी तरफ दो अलिन्द हों व स्तंभयुक्त दीवार भी हो,
ऐसे घर का यदि मुख पूर्व में हो। 3. सुतेज - जिस द्विशाल घर के मुख के आगे दो अलिन्द और
खिड़कीयुक्त मंडप हो तथा पीछे एक अलिन्द और दाहिनी तरफ दो अलिन्द हों व स्तंभयुक्त दीवार भी हो,
ऐसे घर का यदि मुख दक्षिण में हो। 4. कलहावह - जिस द्विशाल घर के मुख के आगे दो अलिन्द और
खिड़कीयुक्त मंडप हो तथा पीछे एक अलिन्द और दाहिनी तरफ दो अलिन्द हों व स्तंभयुक्त दीवार भी हो,
ऐसे घर का यदि मुख पश्चिम में हो। 1. विलास - उद्योत घर के पीछे तथा दाहिनी तरफ दो दो अलिन्द दीवार
के भीतर हों, घर के चारों ओर घूम सके ऐसे दो प्रदक्षिणा मार्ग
हों, ऐसे घर का मुख यदि उत्तर की ओर हो। 2. बहुनिवास - उद्योत घर के पीछे तथा दाहिनी तरफ दो दो अलिन्द
दीवार के भीतर हों, घर के चारों ओर घूम सके ऐसे दो
प्रदक्षिणा मार्ग हों, ऐसे घर का मुख यदि पूर्व की ओर हो। 3. पुष्टिद - उद्योत घर के पीछे तथा दाहिनी तरफ दो दो अलिन्द दीवार
के भीतर हों, घर के चारों ओर घूम सके ऐसे दो प्रदक्षिणा मार्ग
हों, ऐसे घर का मुख यदि दक्षिण की ओर हो। 4. क्रोधसन्निभ- उद्योत घर के पीछे तथा दाहिनी तरफ दो दो अलिन्द
दीवार के भीतर हों, घर के चारों ओर घूम सके ऐसे दो उधोत १ बहुतेज २ सुतेज ३ ।
__पूर्व
कलहायह ४
विलास १
बहूनिवास २
पुष्टिद ३
क्रोधसन्निभ ४
दक्षिण
पश्चिम