Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
समभाग प्रकरण देवालय, प्रासाद अथवा आश्रम, मठ आदि वास्तु कर हीन अर्थात् दायें बायें ओर छोटे बड़े होना अशुभ है। ऐसा होने से स्त्री नाश, शोक, संताप एवं गृहस्वामी का धन नाश होता है। कहा है
कर हीनं न कर्तव्यं प्रासाद मठ मंदिरं। स्त्री नाशः शोकः संतापौ स्वामि सर्व धनक्षयः।।
- पंच रत्न 200 इसी तरह कहा है कि यदि घर बायीं ओर बड़ा तथा दाहिनी ओर छोटा हो तो ऐसा घर अन्तकगृह कहलाता है तथा कुल एवं सम्पत्ति का नाशकारक होने से अशुभ है।
वामे ज्येष्ठं भवेत्तत्र दक्षिणे च कनिष्ठकम्। अन्तकारख्यं भवेद्वेश्म हन्यते कुलसम्पदः।।
- पंच रत्ल 169 घर के दोनों भाग समपार्श्व होना चाहिए। यदि दाहिनी ओर बड़ा हो तथा उसमें ज्येष्ठ भ्राता रहता हो तो दोष नहीं रहता।