Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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वास्तु चिन्तामणि
1. 2. 3. 4.
पूर्व पश्चिम उत्सर दक्षिण
East West North South
- - -
यह सूर्योदय की दिशा है। यह सूर्यास्त की दिशा है। यह उत्तरी ध्रुव की दिशा है। यह दक्षिणी धुव की दिशा है।
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प्राथमिक तौर पर चार दिशाओं के मध्य में निम्न चार विदिशाएं मानी जाती हैं -
ईशान North East - पूर्व एवं उत्तर के मध्य की दिशा 2. आग्नेय South East - पूर्व एवं दक्षिण के मध्य की दिशा 3. नैऋत्य South West - पश्चिम एवं दक्षिण के मध्य की दिशा 4. वायव्य North West - पश्चिम एवं उत्तर के मध्य की दिशा
दिशासूचक यंत्र में इन दिशाओं को सुविधा के लिए 360 में विभाजित किया जाता है। इन दिशाओं का विस्तृत विवेचन आगामी पृष्ठों में पठनीय है।