Book Title: Vastu Chintamani
Author(s): Devnandi Maharaj, Narendrakumar Badjatya
Publisher: Pragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
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ऑक्सीजन
ऑक्सीजन
श्वसन
वास्तु चिन्तामणि कार्बनडाईआक्साइड (CO.) गैस को ग्रहण करती हैं तथा आक्सीजन (0.) गैस नि:सृत करती हैं। यह ऑक्सीजन
वायु एवं जल ही सभी प्राणियों की प्राण वायु है। यदि आक्सीजन वायुमंडल में से कम हो जाए तो जीवन जीना संभव नहीं है। वायुमंडल की हवा में 20% प्रकाश संश्लेषण ऑक्सीजन निरन्तर रहती है तथा बनापतियां मर्ग प्रकार के धाम से वायुमंडल में यह संतुलन बनाये रखती हैं। इसी कारण एक अपेक्षा से सूर्य को पृथ्वी का जीवन प्रदाता भी कहा जाये तो कोई मिथ्या बात न होगी।
पृथ्वी पर दूसरा प्रमुख कारक है चुम्बकीय धाराएं। पृथ्वी स्वत: एक अतिविशाल चुम्बक है तथा इसकी चुम्बकीय शक्ति की धाराएं उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को चलती हैं उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव की इन धाराओं का प्रभाव पृथ्वी पर रहने वाले सभी चराचर जीवों पर पुद्गल (अजीव) द्रव्यों पर अवश्य ही पड़ता है। धरती में यदि लौह खण्ड धाराओं के समानान्तर गाडकर रख दिया जाए तो कुछ ही साल में वह लोह खण्ड चुम्बक बन जाता है। पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के देह में लौह तत्व विद्यमान रहता है तथा पृथ्वी की चुम्बकीय धाराओं से अप्रत्यक्ष रुप से प्रभावित होता है। चुम्बक द्वारा चिकित्सा इसी तथ्य पर आधारित है।
पृथ्वी पर होने वाले दिन-रात का चक्र, सूर्य की वार्षिक गति, पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति, चुम्बकीय धारा, उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव आदि का प्रभाव मनुष्य एवं अन्य सभी चराचर जीव एवं अजीवों पर स्पष्टतया देखा जा सकता है। पृथ्वी पर दिशाओं का विभाजन भी इसी आधार पर किया गया है। दिशाएं चार हैं -