Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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सुचरित्रम्
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करने की दिशा में अपनी उग्र साधना, शोध का परिचय देते हैं और साहस के साथ सागर के अतल जल से हो या पर्वतों के उत्तुंग शिखरों से मानव हित ही नहीं, प्राणी हित की ऐसी संजीवनियाँ लाकर संसार को समर्पित करते हैं कि वे अपने साथ अनेक भविजनों के उद्धार का मार्ग भी प्रशस्त कर देते हैं।
चरित्र की चमक से चमचमाते व्यक्तित्व आग में से होकर निकलते हैं!
'होनहार बिरवान के होत चीकने पात' की उक्ति के अनुसार चरित्र की चमक से चमचमाने वाले जीवन का आभास गूढ़ दृष्टि वालों को बहुत पहले ही हो जाता है। ऐसे चमत्कारी पुरुष अनुद्घाटित कल्याणकारी रहस्यों का सर्वजनहिताय सर्वजनसुखाय उद्घाटन करते हैं, जो ज्ञानविज्ञान की उच्चतम अवस्था में पहुँच कर महावीर बन जाते हैं, संसार को मर्यादा का मार्ग दिखा कर राम बन जाते हैं तो न्याय की अद्भुत प्रेरणा प्रदान करते हुए श्रीकृष्ण का स्वरुप धारण कर लेते हैं। ऐसे दिव्य पुरुषों का अनुगमन करते हुए आज भी राजनीति में अहिंसा का अभिनव प्रयोग करके कोई ना है तो कोई अशक्तजनों की निःस्वार्थ सेवा करके मदर टेरेसा । किन्तु ऐसी जीवन्तता कठोर साधना, कष्ट सहिष्णुता, अथाह वीरता, त्याग एवं बलिदान की सशक्त भूमिका निभाए बिना नहीं मिलती है । चरित्र की चमक से चमचमाते व्यक्तित्व जब आग में से होकर निकलते हैं, तभी वे सोने की तरह दमकते हैं ।
ऐसे चरित्रशील पुरुषों ने सदा ही अपना जीवन न्यौछावर किया संसार के कल्याण के लिए, प्राणी मात्र की सेवा के लिए और स्वस्थ मानवता के निर्माण के लिए । उनका यह संकेत रहा है कि महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए साधना एवं साहस की सही डगर को पहिचानें । प्रेरक पुरुषों का जीवन केवल उनका ही नहीं रहता, वह तो समस्त संसार में सदा के लिए (समाहित) आदरणीय हो जाता
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क्या आप नहीं चाहते कि आप उनकी बताई हुई डगर पर चलें ? किन्तु, यह काम आग के दरिया में होकर गुजरने जैसा है। उस दरिया से जब आप बाहर निकलेंगे तो आपका यही जीवन चमत्कारी रूप ले लेगा, चरित्र सम्पन्नता की चमक से चमचमाता हुआ । यह आग का दरिया है मानव सेवा की गहराइयों में उतरना, नए मानवीय मूल्यों की स्थापना करना, साधना की उत्कृष्ट श्रेणियों में से सोने की तरह दमकते हुए निकलना और उस समय में ही नहीं, भावी पीढ़ियों के लिए भी लोक-कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना। जब यह आग का दरिया साहस के साथ पार कर लिया जाता है तो प्राप्त होती है वह दिव्य ज्ञान की कुंजी, जो प्रकट करती है भौतिक, आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक रहस्यों की परत-दर-परत । इस रहस्योद्घाटन से ही प्रसारित होता है ज्ञान, विज्ञान, धर्म एवं दर्शन का आलोक । यह आलोक सभी दृष्टियों से संसार - पथ को आलोकित करता रहता है । उन्नति की इस पृष्ठभूमि में यह सत्य सदैव स्मरणीय रहे कि व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं मानवीय चरित्र को समुन्नत बनाने पर ही ऐसे रहस्योद्घाटन के चमत्कार संभव होते हैं। ये चमत्कार युगों-युगों तक संसार सागर में ज्योर्तिस्तंभों के रूप में विद्यमान रहते हैं।