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प्रतिसेवाधिकार । । आदि सुगंधियुक्त कृत्रिपाद्रव्य बना देना योगादिदर्शन क्रिया है। दहा द्ध आदि नाना प्रकारकी चीजोंको नष्ट कर देना द्रव्यनाश है। इस तरहको क्रियाएं विशेष प्रयोगों तथा मन्त्र आदिक जरिये की जाती हैं ॥६॥ समासाद्यंगसंघर्षसूत्रकंदुककेलिषु। पणने नखपिच्छांहिजंघावीणादिवादने॥६३ ॥ स्वपीक्षिते देयाद्भूतक्रीडाप्रदर्शने । पुरुमंडलमुद्दिष्टं कल्याणंच परेक्षिते॥६४॥ युग्म __अर्थ-एक पध, आदि शन्दसे कान्य, पद्यका आधाभाग चौथाई भाग आदि समासादि हैं इनको रचना न जानते हुए भी. स्पर्धा करना कि मैंने यह एक श्रव्य (सुनने योग्य) काव्य: बनाया है ऐसा आप भी बनाइये, मैंने यह श्लोकका पूर्वाध बनाया है आप इसका उत्तरार्ध बनाइये, मैंने यह श्लोकका पादः ( चौथा हिस्सा ) बनाया है आप भी इससे मिलता जुलता. दूसरा पाद बनाइये इत्यादि समासादि क्रोडा है। परस्परमें एक दूसरेके शरीरका प्रपीडन करना अङ्गसंघर्ष कोड़ा है, सूत्रक्रीड़ा रस्सा खेचना, गेंद आदिके खेल कंदुकक्रीड़ा है। इत्यादि क्रोड़ाओंमें होढ़ करना (सरियद लगाना) तथा नख, पिच्छी पर और जंघा द्वारा वीणा आदि बाजे बजाना तथा किसो: चीजको भूतों द्वारा ग्राण करा कर प्रकाशन कराना इस