________________
प्रायश्चितसाथ गुप्त बातें करने वाले साधुको सिंघसे निकाल हो देना चाहिए, क्योंकि वह सर्वज्ञ देवकी आज्ञाको कलंकित करने : चाला है ।। २८॥ स्थातुकाम सः चेद्भूयस्तिष्ठेत् क्षमणमौनतः। ... आषण्मासमयः कालो गुरूद्दिष्टावधिर्भवेत् ॥ ___ अर्थ-यदि वह साधु संघमें रहनेका इच्छुक हो तो छह महीने तक अथवा गुरु जितना काल चाहे उतने काल तक। प्रतिक्रमण करता हुआ मौनपूर्वक रहे ॥ २६ ॥ दृष्टा योषामुखाद्यगं यस्यः कामः प्रकुप्यति। .. आलोचना तनूत्सर्गस्तस्य च्छेदो भवेदयम् ॥ .
अर्थ-स्त्रियोंके सुख आदि अंगोंको देखकर जिस मंदभाग्य साधुकी कामाग्नि प्रचंड हो जाय उसके लिए आलोचनाः । और कायोत्सर्ग यह प्रायश्चित्त है॥३०॥ स्त्रीगुह्यालोकिनो वृष्यरससंसेविनो भवेत् । रसानां हि परित्यागः स्वाध्यायोचित्तरोधिनः॥ .
अर्थ-जिसका स्वभाव स्त्रियोंके योनि आदि गुप्त अंगोंके . देखनेका भौर कामवर्धक पौष्टिक रसोंके सेवन करनेका है. उसको दही, दूध, शाल्योदन, अपूपा आदि वलवर्धक रसोंका लाग रूप प्रायश्चित्त देना चाहिए। तथा जिसका मन काबूमें