________________
दाधिकार।
११७ प्रतिदिन औषध प्रादि देना भूल जाने पर भी अतिक्रमण प्रायः श्चित्त होता है ॥१०॥ आभोगे वाप्यनाभोगे भिक्षाचांदिके कचित् । कथंचिदुत्थिते दंडे प्रायश्चित्तं प्रतिक्रमः॥१९॥ ___अर्थ-भिक्षार्थ जाना आदि कोई एक क्रियाविशेषके समय लोगोंने देखा हो या न देखा हो कदाचित किसी कारणवश दंडोत्थान (लिंगके खडे) हो जाने पर प्रतिक्रमण प्रायश्चित होता है। तदुक्तगोयरगयस लिंगुष्ठाणे अण्णस्स संकिलेसे य । णिंदणगरहणजुत्तो णियमो वि य होदि पडिकमणं ॥ __ अर्थात् मिक्षाके लिए प्रवृत्त हुए साधुका लिंगोत्थान होजाने 'घर और अपने द्वारा अन्यको संक्लेश होने पर अपनी निंदा
और गर्दासे युक्त नियण नामका प्रतिक्रमण होता है ॥ १६१॥ सूक्ष्मे दोषे न विज्ञाते छद्मस्थत्वेन चागसां। अनाभोगकृतानां च विशुद्धिस्तवयं भवेत् ॥
अर्थ-अत्यन्त सूक्ष्म दोष जो कि छ्यस्थताके कारण जानने न पाया कि यह दोष है, ऐसे दोषकी तथा अनाभोग १ गोवरगतस्य लिंगोत्थानेऽन्यस्व संक्शे च । । निन्दनगईणयुको नियमोऽपि च भवति प्रतिक्रमः ।