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पदाधिकार । किया हुआ है अथवा पिंडशुदिमें देश कालको अपेक्षा जिसका लेना निपिद्ध है वह भोजन यदि हाथमें रक्खा गया हो, या पात्रमें परोसा गया हो या मुखमें लिया गया हो तो उसका विवेक प्रायश्चित्त है ॥२०॥ उत्पथेन प्रयातस्य सर्वत्रामावतः पथः । स्निग्धेन च निशीथा ववद्यस्वप्नदर्शने ॥२०॥ ___ अर्थ-चारों दिशाओंमें मार्ग न मिलने पर उन्मार्ग होकर चलनेका, गीले श्रमासुक मार्ग होकर चलनेका या हरो घास वगैरह पर होकर गमन करनेका ओर आधीरात बीत जानेके. वाद बुरे सपने देखनेका प्रायश्चित्त एक कायोत्सर्ग है ॥ २०१॥ स्रस्तरस्य वहिदशेऽ चक्षुषो विषये सृते। रात्रौ प्रमृष्टशय्यायां यत्नसुप्तोपवेशले ॥२०२॥
अर्थ-उजेलेमें शयन स्थानका प्रतिलेखन कर रात्रिमें. यत्नपूर्वक सोये ओर बैट हों, पश्चात सूर्योदय होने पर संथारेके इधर उधर जहाँ नजर नहीं पहुचतो ऐसे पास ही के चलने. फिरनेके स्थानमें कोई जोव मरा हुआ देखने में आवे तो उसका प्रायश्चित्त कायोत्सर्ग है । २०२॥ व्यापन्ने च से दृष्टे नद्याथागाढकारणात् । नावा निदोषयोत्तारे कायोत्सर्गो विशोधनं ।। : अर्थ-मरे हुये त्रस जीवोंके देखनेका और दूसरोंके लिए