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प्रणीताहारविरतिसमिति भावना का कुछ शंका, कुछ समाधान
उपसंहार
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१२ - दसवां अध्ययन : पंचम अपरिग्रहसंवर
अन्तरंगपरिग्रह से विरति
अन्तरंग परिग्रहत्याग का वर्णन ही सर्वप्रथम क्यों ?
एक से लेकर तैतीस बोलों पर विवेचन
तैंतीस बोलों की आराधना करने वाले श्रमण की आध्यात्मिक
उपलब्धि
तैतीस बोलों के निरूपण के पीछे उद्देश्य
अपरिग्रह संवर का माहात्म्य और स्वरूप
श्रेष्ठ संवरवृक्ष
अपरिग्रही के लिए क्या ग्राह्य है, क्या अग्राह्य ?
अपरिग्रही साधक लिए संग्रह करके रखना परिग्रहवृत्ति है
उद्दिष्ट, स्थापित आदि दोषों से युक्त आहार भी साधु लिए वर्जनीय
• अपरिग्रही साधु के लिए कब और कैसा आहार ग्राह्य है ? कुछ शंका-समाधान
साधु के लिए ग्राह्य धर्मोपकरण
अपरिग्रही श्रमण की पहिचान
अपरिग्रही के लक्षण और उनकी व्याख्या
अपरिग्रह सिद्धान्त पर प्रवचन किसने और क्यों दिया ?
अपरिग्रहव्रत की पांच भावनाएं
पांच भावनाओं की उपयोगिता
• विषयों का ग्रहण कब परिग्रह है, कब अपरिग्रह ?
श्रोत्र न्द्रिय संवररूप शब्दनिःस्पृह भावना का चिन्तन, प्रयोग
और फल
वीतरागतापोषक शब्दश्रवण में अभिरुचि परिग्रह नहीं
चक्षुरिन्द्रिय संवररूप निःस्पृह भावना का चिन्तन, प्रयोग और फल
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