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- दोहा २५ ]
स्वरूपं व्यक्तं करोति
केवल
ल - दंसण - णाणमउ केवल - सुक्ख सहाउ |
केवल - वीरिउ सो मुणहि जो जि परावरु भाउ || २४ ॥ केवलदर्शनज्ञानमयः केवलसुखस्वभावः ।
केवलवीर्यस्तं मन्यस्व य एव परापरो भावः ॥ २४ ॥
परमात्मप्रकाशः
२९
केवलोऽसहायः ज्ञानदर्शनाभ्यां निर्वृत्तः केवलदर्शनज्ञानमयः केवलानन्दसुखस्वभावः केवलानन्तवीर्यस्वभाव इति यस्तमात्मानं मन्यस्व जानीहि । पुनश्च कथंभूतः य एव । यः परापरः परेभ्योऽर्हत्परमेष्ठिभ्यः पर उत्कृष्टो मुक्तिगतः शुद्धात्मा भावः पदार्थः स एव सर्वप्रकारेणोपादेय इति तात्पर्यार्थः ॥ २४ ॥
अथ त्रिभुवनवन्दित इत्यादिलक्षणैर्युक्तो योऽसौ शुद्धात्मा भणितः स लोकाग्रे तिष्ठतीति कथयति —
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एयहिँ जुत्तउ लक्खणहिँ जो परु णिक्कलु देउ । सो त णिवस परम-पह जो तइलोयहँ झेउ ।। २५ ।। एतैर्युक्तो लक्षणैः यः परो निष्कलो देवः ।
स तत्र निवसति परमपदे यः त्रैलोक्यस्य ध्येयः ॥ २५ ॥
एतैस्त्रिभुवनवन्दितादिलक्षणैः पूर्वोक्तैर्युक्तो यः । पुनश्च कथंभूतो यः । परः परमात्मस्वभावः । पुनरपि किंविशिष्टः । निष्कलः पञ्चविधशरीररहितः । पुनरपि किंविशिष्टः । देवस्त्रिभुवनाराध्यः ज्ञानमयः ] केवलज्ञान केवलदर्शनमयी है, अर्थात् जिसके परवस्तुका आश्रय (सहायता) नहीं, आप ही सब बातोंमें परिपूर्ण ऐसे ज्ञान दर्शनवाला है, [ केवलसुखस्वभावः ] जिसका केवलसुख स्वभाव है, और जो [केवलवीर्यः ] अनंतवीर्यवाला है [ स एव ] वही [परापरभावः ] उत्कृष्ट अर्हतपरमेष्ठीसे भी अधिक स्वभाववाला सिद्धरूप शुद्धात्मा है ऐसा [ मन्यस्व ] मानो ॥ भावार्थ- परमात्माके दो भेद हैं, पहला सकलपरमात्मा दूसरा निष्कलपरमात्मा उनमें कल अर्थात् शरीर सहित जो अरहंत भगवान हैं वे साकार हैं, और जिनके शरीर नहीं, ऐसे निष्कलपरमात्मा निराकारस्वरूप सिद्धपरमेष्ठी हैं, वे सकल परमात्मासे भी उत्तम हैं, वही सिद्धरूप शुद्धात्मा ध्यान करने योग्य है || २४॥
आगे तीन लोककर वंदना करने योग्य पूर्व कहे हुए लक्षणों सहित जो शुद्धात्मा कहा गया है, वही लोकके अग्रमें रहता है, ऐसा कहते हैं - [ एतैः लक्षणैः ] 'तीन भुवनकर वंदनीक' इत्यादि जो लक्षण कहे थे, उन लक्षणोंकर [ युक्तः ] सहित [ परः ] सबसे उत्कृष्ट [ निष्कलः ] औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस, कार्माण ये पाँच शरीर जिसके नहीं है, अर्थात् निराकार है, [ देवः ] तीन लोककर आराधित जगतका देव है, [ यः ] ऐसा जो परमात्मा सिद्ध है, [ सः ] वही [ तत्र ] परमपदे] उस लोकके शिखरपर [ निवसति ] विराजमान है, [यः ] जो कि [ त्रैलोक्यस्य ] तीन
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