Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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३४८
जोइंदु-विर
329) घोरु करंतु वि तव चरणु सयल वि सत्थ मुणंतु । परम-समाहि-विवज्जियउ णवि देक्खर सिउ संतु ।। १९१ ।। 330) विसय-साय वि णिद्दलिवि जेण समाहि करंति । ते परमप्पहँ जोइया गवि आराहय होंति ।। १९२ ।। 331) परम-समाहि धरेवि मुणि जे परबंभु ण जंति ।
ते भव- दुक्ख बहुविहँ कालु अणंतु सहंति ।। १९३ ।। 332 ) जामु सुहासुह - भावडा गवि सयल वि तुर्हति ।
परम-समाहि ण तामु मणि केबुलि एमु भणति ॥ १९४ ॥ 333 ) सयल - वियप्पहँ तुट्टाएँ सिव-पय-मग्गि वसंतु ।
कम्म-चउक्कइ विलउ गइ अप्पा हुइ अरहंतु ।। १९५ ॥ 334) केवल-णाणि अणवरउ लोयालोउ मुणंतु ।
यिमे परमाणंदमउ अप्पा हुइ अरहंतु ।। १९६ ॥ 335) जो जिणु केवल- गाणमउ परमाणंद-सहाउ ।
सो परमप्प परम-परु सो जिय अप्प - सहाउ ।। १९७ ।। 336) सयलहँ कम्महँ दोसहँ वि जो जिणु देउ विभिण्णु ।
सो परमप्पपासु तुहुँ जोइय नियमे मण्णु ॥। १९८ ।। 337) केवल- दंसणु णाणु सुहु वीरिउ जो जि अणंतु ।
सो जिण - देउ वि परम- मुणि परम-पयासु मुणंतु ॥ १९९ ।। 338) जो परमप्पउ परम-पउ हरि हरु बंभु वि बुद्ध 1
परम-पयासु भणंति मुणि सो जिण - देउ विसुद्ध || २०० ॥ 339) झाणे कम्म- क्खउ करिवि मुकउ होइ अणंतु ।
जिणवरदेवइँ सो जि जिय पभणिउ सिद्ध महंतु || २०१ ॥
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329) B तवयरणु; TKM सयलुवि सत्थु पढंतु; TKM देक्खड़, C देषइ. 330) TKM णिद्दलवि. 331 ) _TKM पर बहु. 332) AB जाम्ब, एम्व ( for एमु ); TKM जाव, भावडर, केवलि एहु. 333 ) TKM तुट्टाहिं, मग्गे; c चउक्कर TKM चउके विलउ गए; ATKM होइ. 334) TKM णाणे, C णाणई; c नियमई; TKM होइ. 335) Wanting in TKM; BC परमाणंदमउ केवलणाणसहाउ After this C has an additional verse which is the same as the one quoted in the Com. on this verse. 336) TKM सलहिं कम्महिं दोसहि; A जिणदेउ : c नियमिं. 337) BC दंसणणाणु; TKM सुहं वीरिय जोखि. 338) Wanting in rKM. 339 ) AC झाणि; TKM कम्मह खउ करिवि, जिणवरदेवें, भणियउ for पभणिउ.
[ 329 : २-१९१
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