Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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३५५
बिणि वि दोस बुज्झइ सत्थई बुज्झंतह परमत्थु बोहणिमित्ते
186 188 318
अ. दो. २-५६ २-५८ २-१८०
196
194
195
भणइ भणाव भल्लाहं वि णासंति भवतणुभोय भवाभवह जो भाउ विसुद्धउ भावाभावहिं संजुवउ भावि पणविवि भिण्णउ वत्थु जि भुजंतु वि...जो भुजंतु वि णिय
२-६४ २-६५ २-५२ २-१९२
182 330 63
293 274
211
180 278 23
२-१५६ २-१३८ २-५० २-१४१ १-२३
- दोहासूची
अ. दो. 173 २-४४ वर जिय पावई 213 २-८२ वर णियदंसण 225 २-९४
वत्थुपण जेम 215 २-८४
वंदउ जिंदउ 178 २-४८ वंदणु जिंदणु 241 २-११० वंदणु जिंदणु
32 १-३२ वित्तिणिवित्तिहिं 205 TKM-२-७४*१ 198
विसयकसाय वि २-६८ 43
विसयकसायहिं १-४३ 8
विसयकसायहि १-८ 319 २-१८१ विसयसुहई बे २-८०
विसयहं उप्परि 210 २-७९ विसयासत्तउ जीव
वेयहिं सत्यहि 126 १-१२३*२/ 187 २-५७
सन्तु वि मित्तु वि 260 २-१२६
सत्थु पढंतु वि २-१२५
सयलपयस्थहं 258 २-१२४
सयलवियप्पर 112 १-११०
सयलवियप्पहं जो 145 २-१८
सयल वि संग ण 262 २-१२८
सयलह कम्मर १-१३
सव्वहिं रायहि 117 १-११५ 252
संता विसय जु २-११८ 326 २-१८८
सिद्धिहि केरा 301 २-१६३ सिरिगुरु अक्खहि
सुण्णउ पत्रं १-१२०
सुद्धहं संजमु 316 २-१७८
सुहपरिणामें २-१००
सो जोइउ जो जोगवइ 246 २-११२
सो णस्थि ति पएसो 349 २-२१०
सो पर वुच्चइ २-१२ 218
२-८७ हरिहरबंभु वि
२-१८५ । हां वरु बभणु 152
२-२५ । हउं गोरउ हउं
259
मणु मिलियउ म पुणु पुण्णई मारिवि चरिबि मारिवि जीवह लक्खडा मुक्खु ण पावहि मुणिवरविंदह मुत्तिविहूणउ मूढा सयलु वि मूद वियक्खणु मेल्लिवि सयल मोक्खु जि साहिउ मोक्खु म चिंतहि मोहु विलिज्जइ मणु
२-१०४ २-८३ २-३४ २-१९५ २-१९०
13
235 214 161 333 328 304 336 310 275 199 128 297 197 201 273 67
२-१९८ २-१७२ २-१३९
122
राएं रंगिए रते रत्थे जेम रायदोस बे रूवि पयंगा
231
२-१ २-१५९ २-६७ २-७१ २-१३७५ १-६५*१ १-१११
113
223
लक्खणछंदविवजियउ लाहहं कितिहि लेणहं इच्छा लोउ विलक्खणु लोयागासु धरेवि
135
323
२-८ १-८१ १-८०
82
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