Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 517
________________ ३५६ संस्कृतटीकायामुक्तानां पद्यादीनां वर्णानुक्रमसूची आगम, [ कुन्दकुन्द, प्रवचनसार १-१३ ] [ रामसिंह, दोहापाहुड ८४] कुन्दकुन्द, मोक्षप्राभृत [ ७७ ] [कुन्दकुन्द, पञ्चास्तिकाय ७] [रामसेन, तत्त्वानुशासन ८३] [ रामसिंह, दोहापाहुड १९] | पृष्ठाङ्काः १२४ अइसयमादसमुत्थं १६२ अकसाय तु चरितं २०४ अक्खरडा जोयंतु ठिउ २७ अक्खाण रसणी १५८ अज वि तियरण१४८ अण्णोण्णं पविसंता ९२ अत्रेदानी निषेधन्ति २६३ अथिरेण धिरा ६. अनादितो हि मुक्त२८ अन्यथा वेदपाण्डित्यं २०. अपरिग्गहो अणिच्छो ५ अभूदपुवो हवदि ३३ अरसमरूवमगंधं १६४ अस्त्यात्मानादिबद्धः १५३ आत्मानमात्मा ३७ आत्मानुष्ठाननिष्ठस्य १२१ आत्मोपादानसिद्ध २२७ आनन्दं ब्रह्मणो ९९ आभिणिसुदोहि १७८ आर्ता नरा धर्मपरा २९६ आसापिसाय १६ इत्यतिदुर्लभरूपां १७९ ऊर्ध्वगा बलदेवाश्च १४३ एगणिगोदसरीरे २६८ एदम्हि रदो णिञ्च १४३ ओगाढगाढणिचिदो २६. कषायैरिन्द्रियः १९२ कंखिदकलुसिदभूदो २२ कः पण्डितो १५८ चरितारो न सन्त्यय २६६ चंडो ण मुयइ २५२ चित्ते बद्ध बद्धो १२९ जे पुण सगयं [कुन्दकुन्द, समयसार २१०] [कुन्दकुन्द,] पञ्चास्तिकाय [२०] [कुन्दकुन्द,] (भाव-) प्राभृत [६४; पञ्चास्तिकाय १२.] पूज्यपाद, [सिद्धभक्ति २] पूज्यपाद, [सिद्धभक्ति ४] [ पूज्यपाद, इष्टोपदेश ४७] [ पूज्यपाद, सिद्धभक्ति ७] [कुन्दकुन्द, समयसार २०४] परमागम, [ नेमिचन्द्र, गो० जीवकाण्ड १९५] [कुन्दकुन्द, समयसार २०६] [कुन्दकुन्द, पञ्चास्तिकाय ६४] [अमोघवर्ष, प्रश्नोत्तररत्नमाला ५] [रामसेन, तत्त्वानुशासन ६] [ नेमिचन्द्र, गो० जीवकाण्ड ५०८] [देवसेन, तत्त्वसार ५] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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