Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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३८६
- दोहासूची -
दोहा
दोहा
णिम्मलु णिक्कलु सुध्दु
मिच्छादिउ जो परिहरणु मूढा देवलि देउ णवि
ताम कुतित्थइँ परिभमइ तित्थइ देउलि देउ जिणु तित्थहि देवलि देउ णवि तिपयारो अप्पा मुणहि तिहिं रहियउ तिहिं गुण
रयणत्तयसंजुत्त जिउ रयण दीउ दिणयर दहिउ रायरोस बे परिहरिवि रायरोस बे परिहरिवि
दसणु जं पिच्छियइ देहादिउ जे परि कहिया देहादिउ जे परि कहिया देहादिउ जो परु मुणइ देहादेवलि देउ जिणु
वउ तउ संजभु सील वउ तव संजमु सील वज्जिय सयलवियप्प वयतवसंजममूलगुण विरला जाणहि तत्तु बुह
धण्णा ते भयवंत बुह धम्म ण पढियइँ होइ धंधइ पडियउ सयल
परिणामें बंधु जि कहिउ पुग्गलु अण्णु जि अण्णु पुष्णि पावइ सम्ग जिउ पुरिसायारपमाणु जिय
सत्थ पढंतह ते वि जड सम्माइट्ठीजीवडहूँ सव्व अचेयण जाणि सव्वे जीवा णाणमया संसारह भयभीयएण संसार, भयभीयहँ सागारु वि णागारु कु वि सुद्धपएसहँ पूरियउ सुद्धप्पा अरु जिणवरहँ सुद्ध सचेयणु बुद्ध जिणु सुहुमहँ लोहहँ जो सो सिउ संकरु
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बे छडि वि बेगुणसहिउ बे ते चउ पंच वि णवहँ बे पंचहँ रहियउ मुणहि
मग्गणगुणठाणइ कहिया मणुइंदिहि वि छोडियइ मिच्छादसणमोहियउ
हिंसादिउ परिहाउ
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