Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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३५३
257 261
60 227
289
232 237 139 229 137 30
39
१-१
40
222
171 270
127
जीव म जाणहि जीव वहंतह णरय जीवहं कम्मु अणाइ जीवह तिहुयण जीवहं दसणु णाणु जीवहं भेउ जि जीवहं मोक्खहं हेउ जीवहं लक्खणु जीवहं सो पर जीवाजीव म जीवा सयल वि जे जाया झाणग्गियए जे जिलिंगु धरेवि जेण कसाय हवंति जेण ण चिण्णउ जेण णिरंजणि जेण सरूवि झाइयइ जें णियबोहजे दिट्ठा सूरुग्गमणि में दिढे तुहृति जे परमप्पपयासयहं जे परमप्पपयासु जे परमप्पहं भत्तियर जे परमप्पु णियंति जे भवदुक्खहं बीहिया जेम सहाविं णिम्मलउ जे रयणत्तउ जे सरसिं संतुट्ठजेहउ जजरुं गरयजेहउ णिम्मलु जो अणुमेत्तु जो आयासइ मणु जोइज्जइ ति जोइय अपें जोइय चिति म जो णियदंसणजोइय णियमणि जोइय णेहु परिचयहि
पर० ३३
311
54 266
27 345
-दोहासूचीअ. दो. २-१२३ जोइय दुम्मइ कवुण २-१२७ जोइय देहु १-५९ जोइय देहु
जाइय मिल्लहि २-१०१ जोइय मोक्खु वि २-१०६ जोइय मोहु परिच्चयहि २-१२ जोइय लोहु परिचयहि
जोइय विसमी जोय२-१०
जोइय विंदहिं १-३०
जोइय सयलु वि २-९७
जो जाणइ सो
जो जिउ हेउ २-९१
जो जिणु केवलणाण२-४२ २-१३५
जो णवि मण्णइ १-१२३*३
जो णवि मण्णइ २-१७३
जो णियकरणहि
जो णियभाउ ण १-५३
जोणिलक्खई परिभमइ २-१३२
जो परमत्थें १-२७
जो परमप्पउ परम२-२०६
जो परमप्पा णाणमट २-२०४
जो भत्तउ रयणत्तयह २-२०८
जो भत्तउ रयणत्तयह
जो समभावपरिट्रियहं २-२०७
जो समभावहं २-१७७ २-३२
झाणे कम्मक्खउ २-१११२४ ण वि उप्पज्जद २-१४९ णाणवियक्खणु सुद्धमणु १-२६ णाणविहीणहं २-८१ णाणिय णाणिउ २-१६४ णाणि मुएप्पिणु भाउ १-१०९ णाणिहिं मूढहं १-९९ गाणु पयासहि २-१८७ णासविणिग्गउ सासडा
णिच्चु णिरंजणु १-११९ णिठुरवयणु सुणेवि २-११५ । णिम्मलफलिहहं जेम
अ. दो 309 २-१७१ 288 २-१५१
२-१५२ 308 २-१७० 129 २-२ 242 २-१११ 247 २-११३ 272 २-१३७
१-३९ 263 २-१२९ 47 TKM-१-४६२१
१-४० 335 २-१९७ 185 236
२-१०५ 45
१-४५ 18
१-१८ 256 २-१२२
१-३७ 338
२-२०० 313
२-१७५ 158 २-३१ 226
35 240 २-१०९ 339 २-२०१
70 १-६८ 348 २-२०९ 204 २-७४ 110 १-१०८ 177 217 106
१-१०४ 300 २-१६२
17 १-१७ 322 २-१८४ 314 २-१७६
37
343 347
7
346 315 159 245
286
26
212 302
101
3
189
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