Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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३४६
जोइंदु-विरइउ
[ 305 : २-१६७305) घोरु ण चिण्णउ तव चरणु जणिय-बोहहँ सारु ।
पुण्णु वि पाउ वि दड्डु णवि किमु छिज्जइ संसारु ॥ १६७ ॥ 306) दाणु ण दिण्णउ मुणिवरहँ ण वि पुजिउ जिण-णाहु ।
पंच ण वंदिय परम-गुरू किमु होसइ सिव-लाहु ॥ १६८ ॥ 307) अद्धम्मीलिय-लोयणिहि जोउ कि झंपियएहि ।
एमुइ लब्भइ परम-गइ णिचिंतिं ठियएहि ॥ १६९ ॥ 308) जोइय मिलहि चिंत जइ तो तुट्टइ संसारु ।
चिंतासत्तउ जिणवरु वि लहइ ण हंसाचारु ॥ १७० ॥ 309) जोइय दुम्मइ कवुण तुहँ भव-कारणि ववहारि ।
बंभु पवंचहि जो रहिउ सो जाणिवि मणु मारि ॥ १७१ ॥ 310) सव्वहि रायहिँ छहि रसहि पंचहि रूवहि जंतु ।
चित्तु णिवारिवि झाहि तुहुँ अप्पा देउ अणंतु ॥ १७२ ।। 311) जेण सरूविं झाइयइ अप्पा एहु अणंतु ।।
तेण सरूविं परिणवइ जह् फलिहउ-मणि मंतु ॥ १७३ ।। 312) एह जु अप्पा सो परमप्पा कम्म-विसेस जायउ जप्पा।
जामइँ जाणइ अप्पे अप्पा तामइँ सो जि देउ परमप्पा ॥ १७४ ॥ 313) जो परमप्पा णाणमउ सो हउँ देउ अणंतु ।
जो हउँ सो परमप्पु परु एहउ भावि णिभंतु ॥ १७५ ॥ 314) णिम्मल-फलिहहँ जेम जिय भिण्णउ परकिय-भाउ ।
_अप्प-सहावहँ तेम मुणि सयलु वि कम्म-सहाउ ॥ १७६ ॥ 315) जेम सहाविं णिम्मलउ फलिहउ तेम सहाउ ।
भंतिए मइलु म मण्णि जिय मइलउ देवखवि काउ ।। १७७ ।। 316) रत्त वत्थे जेम बुहु देहु ण मण्णइ रत्तु ।
देहि रत्तिं णाणि तहँ अप्पु ण मण्णइ रत्तु ॥ १७८ ॥ ____ 305) Wanting in B ; TKM जेण ण संचिउ तवचरणु, किव तुट्टइ संसारु ( last foot). 306) Wanting in TKM. 307) c झपिउ एउ; TKM एवहि for एमुइ, णिञ्चितें. 308) TKM मेलहि चिंत जह
सम्बजगु for जिणवरु वि. 309) TKM कवणु तुहुं भवकारणे ववहारु ; A कवण :TKMC जाणवि. 310) In TKM हि is represented by इ in this verse, and the last line is अप्पा परमु मुणंतु. 312) TKM जावहि जाणिउ...तावहि ; c जाणे for जाणइ. 313) c जो हं for जो हां, TK पर for परु, णिरुत्तु for णिभंतु, 314) TKM जेव, परकिउ, तेव. 315) TKM जेव and तेव; BTKM सहावें; A दिक्खिवि, TKM देखुवि. 316) Wanting in TKM,
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