Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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३३८
जोइंदु-विरइउ
[ 214 : २-८३214) सत्थु पढंतु वि होइ जड्डु जो ण हणेइ वियप्पु ।
देहि वसंतु वि णिम्मलउ णवि मण्णइ परमप्पु ॥ ८३ ॥ 215) बोह-णिमित्ते सत्थु किल लोइ पढिज्जइ इत्थु ।
तेण वि बोहु ण जासु वरु सो किं मूढ ण तत्थु ।। ८४ ।। 216) तित्थइँ तित्थु भमंताहँ मूढहँ मोक्खु ण होइ ।
णाण-विवज्जिउ जेण जिय मुणिवरु होइ ण सोइ ।। ८५ ।। 217) णाणिहि मूढहँ मुणिवरहँ अंतरु होइ महंतु ।
देहु वि मिल्लइ णाणियउ जीवहँ भिण्णु मुणंतु ॥ ८६ ॥ 218) लेणहँ इच्छइ मूदु पर भुवणु वि एहु असेसु ।
बहु-विह-धम्म-मिसेण जिय दोहि वि एहु विसेसु ॥ ८७ ॥ 219) चेल्ला-चेल्ली-पुत्थियहि तूसइ मूढ णिभंतु ।
एयहि लज्जइ णाणियउ बंधहँ हेउ मुणंतु ॥ ८८ ॥ 220) चट्टहि पट्टहि कुंडियहि चेल्ला-चेल्लियएहि ।
मोहु जणेविणु मुणिवरहँ उप्पहि पाडिय तेहि ॥ ८९ ॥ 221) केण वि अप्पउ वंचियउ सिरु लंचिवि छारेण ।
सयल वि संग ण परिहरिय जिणवर-लिंग-धरेण ।। ९० ॥ 222) ते जिण-लिंगु धरेवि मुणि इठ्ठ-परिग्गह लेंति ।
छद्दि करेविणु ते जि जिय सा पुणु छद्दि गिलंति ।। ९१ ।। 223) लाहहँ कितिहि कारणिण जे सिव-संगु चयंति ।
खीला-लग्गिवि ते वि मुणि देउलु देउ डहंति ॥ ९२ ॥ 224) अप्पउ मण्णइ जो जि मुणि गरुयउ गंथहि तत्थु ।
सो परमत्थे जिणु भणइ णवि बुज्झइ परमत्थु ।। ९३ ॥ 214) TKM देहे वसंतउ, c देह क्संतु. 215) Wanting in TKM ; c तेण विबोहणु जासु. 216) T तित्थे भमंताह ; B and c have अक्खरडा etc. between 215 and 216. 217) Wanting in TKM ; C मुणिवरहि. 218) Wanting in TKM%B C दोहि वि, AB दोहिमि. 219) A चिल्लाचिल्ली, TKM चेल्लाचेल्लियपोत्थियहिं; T दूसइ for तूसइ; B मिल्लड for लज्जइ. 220) TKM गुंडियहि ; AB चिल्लाचिल्लियएहिं. 221) TKM सिरु लुंचुवि, सयलु वि, परिहरइ. 222) A लिति ; TKM छडि for छद्दि, तेज्जि for ते जि. 223) c कित्तिहं ; BCTKM कारणेण; TKM सिव (उ) मग्गु ; TKMC खीलालग्गवि, 224) TKM जोजि for जो जि, गंथहि गरुवइ तत्थु ; c णउ for णवि.
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