Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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जोइंदु-विरइउ
[ 236 : २-१०५236) जो णवि मण्णइ जीव जिय सयल वि एक-सहाव ।
तासु ण थकइ भाउ समु भव-सायरि जो णाव ।। १०५ ॥ 237) जीवहँ भेउ जि कम्म-किउ कम्मु वि जीउ ण होइ ।
जेण विभिण्णउ होइ तहँ कालु लहेविणु कोइ ।। १०६ ॥ 238) एक्कु करे मण बिण्णि करि में करि वण्ण-विसेसु ।
इक्कइँ देवइँ जे वसइ तिहुयणु एहु असेसु ॥ १०७॥ 239) पर जाणंतु वि परम-मुणि पर-संसग्गु चयति ।
पर-संगइँ परमप्पयह लक्खहँ जेण चलंति ।। १०८ ॥ 240) जो सम-भावहँ बाहिरउ तिं सहु मं करि संगु ।
चिंता-सायरि पडहि पर अण्णु वि डज्मइ अंगु ॥ १०९ ॥ 241) भल्लाहँ वि णासंति गुण जहँ संसग्ग खलेहि।
वइसाणरु लोहहँ मिलिउ ते पिट्टियइ घणेहि ॥ ११० ॥ 242) जोइय मोहु परिचयहि मोहु ण भल्लउ होइ ।
मोहासत्तउ सयलु जगु दुक्खु सहंतउ जोइ ॥ १११ ॥ 243) काऊण णग्गरूवं बीभस्सं दड्ढ-मडय-सारिच्छं ।
अहिलससि किं ण लज्जसि मिक्खाए भोयणं मिट्ठ ॥ ११११२ ॥ 244) जइ इच्छसि भो साहू बारह-विह-तवहलं महाविउलं ।
तो मण-वयणे काए भोयण-गिद्धी विवज्जेसु ॥ १११*३ ॥ 245) जे सरसिं संत-मण विरसि कसाउ वहति ।
ते मुणि भोयण-घार गणि णवि परमत्थु मुणंति ॥ ११११४ ॥ 246) रूवि पयंगा सदि मय गय फासहि णासंति ।
अलिउल गंधई मच्छ रसि किम अणुराउ करंति ।। ११२॥ 236) A इक्क, TKM भवसायरे जिव णाव. 237) TKM भेउ वि c तहिं, TKM तहुँ for तहं. 238) TKX करि म ; B एकिं देविं, TKM एक्के देवे जे ; TKM एउ for एहु. 239) TKA परसंगहि. 240) TKA ते सह मकरि, चितासायरे परिपडहि अण्णु ; A सहो for सहु. 241) TKM भल्लाहि वि णासंते; BC खलेण and घणेण. 242) TKM भल्ला 243) Wanting in TKMBC; Brahmadeva बीभत्थं (च्छं ?) 244) Wanting in TKMDC; A तवहं फलं 245) Wanting in TKM. 246) TKM रूवे, सद्दे...पासहि, ABC फासइ : TKM किव तर्हि संतु रमति for किम अणुराउ करति.
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