Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 491
________________ ३३० जोइंदु-विरइउ [122 : १-१२०122) राएँ रंगिए हियवडए देउ ण दीसह संतु । दप्पणि मइलए बिंबु जिम एहउ जाणि णिभंतु ।। १२० ॥ 123) जसु हरिणच्छी हियवडए तसु णवि बंभु वियारि । एकहिँ केम समंति वढ बे खंडा पडियारि ॥ १२१ ॥ 124) णिय-मणि णिम्मलि णाणियहँ णिवसइ देउ अणाइ । हंसा सरवरि लीणु जिम महु एहउ पडिहाइ ॥ १२२ ॥ 125) देउ ण देउले णवि सिलए णवि लिप्पइ णवि चित्ति । अवउ णिरंजणु णाणमउ सिउ संठिउ सम-चित्ति ॥ १२३ ॥ 126) मणु मिलियउ परमेसरहँ परमेसरु वि मणस्स । बीहि वि समरसि-हवा] पुज्ज चडावउँ कस्स ॥ १२३४२ ॥ 127) जेण णिरंजणि मणु धरिउ विसय-कसायहि जंतु । मोक्खहँ कारणु एत्तडउ अण्णु ण तंतु ण मंतु ॥ १२३१३ ॥ [२. विजउ अहियारु ] 128) सिरिगुरु अक्खहि मोक्खु महु मोक्खहँ कारणु तत्थु । मोक्खहँ केरउ अण्णु फल जे जाणउँ परमत्थु ॥१॥ 129) जोइय मोक्खु वि मोक्ष-फलु पुच्छिउ मोक्खो हेउ । सो जिण-भासिउ णिमुणि तुहुँ जेण वियाणहि भेउ ॥२॥ 130) धम्माँ अत्यहँ कामहँ वि एयाँ सयलहँ मोक्खु । उत्तम पभणहि" णाणि जिय अण्णे जेण ण सोक्खु ॥३॥ 131) जइ जिय उत्तम होइ णवि एयाँ सयलहँ सोह। तो किं तिणि वि परिहरवि जिण वचर्हि पर-लोइ ॥ ४ ॥ 132). उत्तम मुक्खु ण देइ जइ उत्तमु मुक्खु ण होइ । तो कि इच्छहि बंधणहि बद्धा पसुय वि सोइ ॥५॥ 122) TKM रंगियहियवग्ये (ए?) दप्पणे मइलए, बिंबु जेव, जाणु; c एहू for एहउ. 123) Wanting in TKM : B परियारि, c पनिहारि for पडियारि. 124) TKM णियमणे जिम्मले, जेब for जिम, राहु एहउ, 125) Bc देउलि...सिला; TKM लेप्पह, अखउ णिरामउ...संतिउ समचितें. 126) Wanting in TKM ; B समरसहूयाइ. 127).Wanting in TKM. 128) Wanting in TKM ; c सोक्खहं for मोक्य: B मुक्खह for second मोक्खाह, जिम for i. 129) TKM मोक्तु जि मोक्नु ; c विआणिउ. 180) TKM have no nasal signs, उत्तिम ; c अणि for अणे. 131) TKM उत्तिम ; Brahmadeva's reading सोवि; TKM वबह: परलोउ. 132) Wanting in TKM ; B ता for तो; c अच्छहिं बंधणहिं: B पसुप वि, पमुवि वि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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