Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 490
________________ -121 : १-११९] परमप्प-पयासु ३२९ 111) जोहजइ तिं बंभु परु जाणिज्जइ तिं सोइ । बंभु मुणेविणु जेण लहु गम्मिज्जइ परलोइ ॥ १०९ ॥ 112) मुणि-वर-विंदहँ हरि-हरहँ जो मणि णिवसइ देउ । परहँ जि परतरु णाणमउ सो वुच्चइ पर-लोउ ॥ ११० ॥ 113) सो पर वुच्चइ लोउ परु जसु मइ तित्थु वसेइ। जहि मइ तहिँ गइ जीवहँ जि णियमे जेण हवेइ ॥ १११ ॥ 114) जहि मइ तहि गइ जीव तुहुँ मरणु वि जेण लहेहि । ते परबंभु मुएवि मइँ मा पर-दव्वि करेहि ॥ ११२ ॥ 115) जंणियदव्वहँ भिण्णु जडु तं पर-दव्यु वियाणि । पुग्गलु धम्माधम्मु णहु कालु वि पंचमु जाणि ॥ ११३ ॥ 116) जइ णिविसद्ध वि कु वि करइ परमप्पइ अणुराउ । अग्गि-कणी जिम कट्ट-गिरी डहइ असेसु वि पाउ ॥ ११४॥ 117) मेल्लिवि सयल अवक्खडी जिय णिचिंतउ होइ । चित्तु णिवेसहि परम-पए देउ णिरंजणु जोइ ॥ ११५ ॥ 118) जं सिव-दंसणि परम-मुह पावहि झाणु करंतु । तं सुहु भुवणि वि अस्थि णवि मेल्लिवि देउ अणंतु ॥ ११६ ॥ 119) जं मुणि लहइ अणंत-सुहु णिय-अप्पा झायंतु । तं सुहु इंदु वि णवि लहइ देविहि कोडि रमंतु ॥ ११७ ॥ 120) अप्पा-दंसणि जिणवरहँ जं मुहु होइ अणंतु । तं सुहु लहइ विराउ जिउ जाणंतउ सिउ संतु ॥ ११८ ॥ 121) जोइय णिय-मणि णिम्मलए पर दीसइ सिउ संतु । ___ अंबरि णिम्मलि घण-रहिए भाणु जि जेम फुरंतु ॥ ११९ ॥ 111) TKM ते बम्हु परु; c तव for ति, TKM ते सोइ ; Brahmadeva has an alternative reading पर for परु. 112) Wanting in TKM. 113) TKM बुज्झइ for वुच्चइ, c परिवुच्चइ ; TKM तेत्थु, जीवह वि. 114) TKM have no nasal signs ; c परदव्वु for °बंमु ; TKM लहेइ and करेइ, परु बम्हु, दब्बे. 115) B अण्णु for भिण्णु, BTK पोग्गल, पोग्गलु. 116) TK कोइ करइ णियअप्पए अणुराउ; TKM अग्गिकणिं जेव, cजिव. 117) TKM मेल्लवि सयल ; BC णिवेसिवि; c देव. 118) TKM पावइ, C पावइ झण; TKM मेल्लषि, AC मिल्लिवि. 119) BCTKM अणंतु सुहु ; TKM देविहि कोडि. 120) Wanting in TKM; c सिव for सिउ. 121) Wanting in TKM; c णिम्मलइ, सिव. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550