Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 488
________________ -99 :१-९७] परमप्प-पयासु ३२७ 88) अप्पा गोरउ किण्हु ण वि अप्पा रत्तु ण होइ । अप्पा सुहमु वि थूलु ण वि णाणिउ जाणे जोइ ।। ८६ ॥ 89) अप्पा बंभणु वइसु ण वि ण वि खत्तिउ ण वि सेस ।। पुरिमु गउंसउ इथि ण वि णाणिउ मुणइ असेसु ॥ ८७ ॥ 90) अप्पा बंदउ खवणु ण वि अप्पा गुरउ ण होइ । अप्पा लिंगिउ एकुण वि णाणिउ जाणइ जोइ ॥ ८८ ।। 91) अप्पा गुरु णवि सिस्सु णवि णवि सामिउ णवि मिच्चु । सरउ कायरु होइ णवि णवि उत्तमु णवि णिच्चु ।। ८९ ॥ 92) अप्पा माणुसु देउ ण वि अप्पा तिरिउ ण होइ । अप्पा णारउ कहि वि णवि णाणिउ जाणइ जोइ ।। ९० ॥ 93) अप्पा पंडिउ मुक्खु णवि णवि ईसरु णवि णीसु । तरुणउ ढउ बालु णवि अण्णु वि कम्म-विसेसु ॥ ९१ ।। 94) पुष्णु वि पाउ वि कालु णहु धम्माधम्म वि काउ।। एक्कु वि अप्पा होइ णवि मेल्लिवि चेयण-भाउ ॥ ९२ ॥ 95) अप्पा संजमु सील तउ अप्पा दंसणु णाणु । अप्पा सासय-मोक्ख-पउ जाणतउ अप्पाणु ॥ ९३॥ अण्णु जि देसणु अस्थि ण वि अण्णु जि अस्थि ण णाणु । अण्णु जि चरणु ण अस्थि जिय मेल्लिवि अप्पा जाणु ॥ ९४ ॥ 97) अण्णु जि तित्थु म जाहि जिय अण्णु जि गुरुउ म सेवि । अण्णु जि देउ म चिंति तुहुं अप्पा विमल मुएवि ॥ ९५॥ 98) अप्पा देसणु केवल वि अण्णु सव्वु ववहारु । एक जि मोइय साइयइ जो तइलोयहँ सारु ॥ ९६ ॥ 99) अप्पा मायहि णिम्मलउ कि बहुएँ अण्णेण ।। जो सायंतह परम-पउ लब्भइ एक-खणेण ॥ ९७ ॥ 88) KM गउरउ, अप्पा सुहुमु ण for सुहुनु वि ; ABc णाणिं for जाणें ; Brahmadeva has an additional reading णाणिउ जाणइ जोई in the last pada.89) TK बम्हणु; TKM परिसु णपुंसणु: AC गाणइ मुणइ. 90) TKM दुखत for बंदउ, खमणु, गुरुङ, लिंगउ, सोइ for जोइ. 91) T सिस्सि, सीसु: TM मेड, K मे tor होइ. 92) TKM कोइ ण वि for देउ etc.; c कह वि for कहि वि; TKM णाणिउ णाणे जोड as the last pada. 98) Wanting in TKM ; A तरुणउं. 94) Wanting in TKAB AC मिल्लिवि. 95) No various readings in Mss., but Brahmadeva notes some alternative readings: सासयमुक्खपहुं, सासयसुक्खपउ. 96) TKM मेल्लवि. 97) TKM जाइ for जाहि; c चितवहि for चिंति तुई. 98) TKM अणु सबउ ववहारु ; c जोइया 99) TKM कि अण्णे बहुएण; A इक, TKM एकु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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