Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 495
________________ ३३४ जोइंदु-विरइउ 167 ) अच्छर जित्तिड़ कालु मुणि अप्प-सरूषि णिलीणु । संवर- णिज्जर जाणि तुहुँ सयल - वियप्प - विहीणु ॥ ३८ ॥ 168) कम्मु पुरकि सो खत्रइ अहिणव पेसु ण देश । संगु मुएविणु जो सयलु उवसम - भाउ करे || ३९ ॥ 169) दंसणु णाणु चरितु तसु जो सम-भाउ करेइ । इयर एकु वि अस्थि बि जिणवरु एउ भजे ॥ ४० ॥ 170) जॉवर णाणिउ उचसमइ तामइ संजदु होइ । होइ कसायहँ बसि गयउ जीउ असंजदु सोइ ॥ ४१ ॥ 171) जेण कसाय हवंति मणि सो जिय मिल्लाह मोहु । मोह - कसाय-विवज्जयउ पर पावहि सम बोहु ॥ ४२ ॥ 172) तत्तातत्तु मुणेवि मणि जे थक्का सम-भावि । ते पर सुहिया इत्थु जगि जहँ रइ अप्प - सहावि ॥ ४३ ॥ 173) बिष्ण वि दोस इवंति तस्रु जो सम-भाउ करेइ । Jain Education International बंधु जि हिपाइ अप्पणउ अणु जगु गहिल करेइ ॥ ४४ ॥ 174) अण्णु वि दोसु हवेइ तस्रु जो सम-भाउ करेइ । सत्तु बि मिल्लिवि अप्पणउ परहँ णिलीणु हवेइ || ४५ ॥ 175) अण्णु वि दोसु हवेइ वसु जो सम भाउ करे । वियलु हवेविणु इक्कलउ उप्परि जगहँ चढेइ || ४६ ॥ 176) जा णिसि सयलहँ देहियहँ जोगिउ तहि जग्गेइ । जहि पुणु जग्गइ सयल जगु सा णिसि मणिवि सुवेइ ॥ ४६१ ।। 177 ) णाणि मुएप्पिणु भाउ समु कित्थु वि जाइ ण राउ । जेण सइ णाणमउ तेण जि अप्प- सहाउ || ४७ ॥ 178 ) भइ भणावर वि थुणइ दिइ णाणि ण कोइ । सिद्धिहि कारणु भाउ समु जाणंतर पर सोइ ॥ ४८ ॥ [ 167 : २-३८ 167) जिउ, TKM जेत्तिउ, अप्पसरूवे. 168) C पुरिक्किउ, TKM कम्म पुराइड and फ्ड्सु for पेसु. 169 ) C हु for णवि, एम for एउ; TKM णिच्छउ for जिणवरु. 170) TKM जाव हि and ताब हि, AB जाम्बइ, C तावइ ; TKM वसगयउ ; C होइ for सोइ. 171 ) TKM मणे ; TKMC मेल्लहि 172) TKM मणे, समभावे, एत्थु (c also ), जगे, अप्पसहावे. 173) Wanting in TKM. 174) c दोस ; TKM मेलवि. hesitate between जि and वि; BTKM हवेष्पिणु, CTKM एक्कलउ. भणिवि for मणिवि. 177 ) CTKM मुएविणु, केत्थु ; TKM लहेसहि. 175) Same Dēvanāgarī Mss. 176) Wanting in TKM ; BC 178) C कारण ; TKM भावसमु. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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