Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 492
________________ -144:२-१७] परमप्प-पयासु 133) अणु जइ जगहँ वि अहिययरु गुण- गणु तासु ण होइ । तो तो वि किं धरइ णिय - सिर- उप्पर सोइ ॥ ६ ॥ 134) उत्तम सुक्खु ण देइ जइ उत्तम्मु मुक्खु ण होइ । तो कि सलुव काल जिय सिद्ध वि सेवहि सोइ ॥ ७ ॥ 135) हरि-हर- वि जिणवर वि मुणिवर-विंद विभव्व । परम- णिरंजणि मणु धरिवि मुक्खु जि झायहि सव्व ॥ ८ ॥ 136) तिहुयणि जीव अस्थि गवि सोक्खš कारणु कोइ । मुक्खु सुरविणु एक पर तेण चिंतहि सोइ ॥ ९ ॥ 137) जीवहँ सो पर मोक्तु मुणि जो परमप्पय-लाहु । कम्म-कलंक विकाएँ णाणिय बोल्लाह साहू ॥ १० ॥ 138) दंसणु णाणु अनंत-सुडु समउ ण तुट्टा जासु । सो पर सास मोक्ख-फलु बिज्जउ अस्थि ण तासु ॥ ११ ॥ 139 ) जीव मोक्ख हेउ वरु दंसणु णाणु चरितु । ते पुणु तिण्णि वि अपु सुणि णिच्छाएँ एहउ बुलु ॥ १२ ॥ 140) पेच्छा जाणइ अणुचरइ अपि अप्पर जो जि । सणु णाणु चरितु जिउ मोक्खहँ कारणु सो जि ॥ १३ ॥ 141) ञं बोल्लर बबहार- उ दंसणु णाणु चरितु । तं परियाणाहि जीव तुहुँ जे परु होहि पवितु ॥ १४ ॥ 142) दब्बš जाणइ जह-ठियाँ तह जगि मप्पाइ जो जि । root केरल भाव अविचल दंसणु सो जि ॥ १५ ॥ 143) दब्बई आणहि ताइँ छह तिहुयणु भरियउ जेहि । आइ-विणास - विवज्जियहि ँ णाणिहि पभणियएहि ।। १६ । 144 ) जीउ सच्चेयणु दष्णु मुणि पंच अवेयण अण्णा । पोग्गल धम्माहम्स हु काले सहिया भिण्ण ॥ १७ ॥ 133) Wanting in TKM ; c सिर उप्परि. 134) TKM उत्तिमु... मोक्ड, C उत्तमसुक्ख ; TKM सेवइ. 185) बहु जिणवरहं; TKM परमणिरंजणु मोक्छु. 136 ) TKM तिहुबणे ; BC सुक्खहं ; TKM मोक्छु. 137) BC मुक्; TKM कम्मकलंके. 138) ATKM अणंतु सुहु; TKM मोक्णु फळ. 139 ) BC मुहं ; C हेड वर TKM पिच्छउ एहज जुतु. 140 ) BC पिच्छs, TKM पस्सह; crKM अप्पे, Brahmadāva अप्पई. 141) Wanting in TKM ; A बुल्लइ, जिं for जे. 142 ) Wanting in crRM 143 ) Wanting in BTKM ; C तिहुयणि भरिया जेहिं... णाणिय. 144 ) TKM अयणु भण्णु, पोग्गल, काले सहिया भिण्णु ; ABC कालि, Jain Education International ३३१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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