Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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३२६
जोइंदु-विरइउ
[77 : १-७५77) अट्टहँ कम्महँ बाहिरउ सयलहँ दोसहँ चत्तु ।
दसण-णाण-चरित्तमउ अप्पा भावि णिरुत्तु ।। ७५॥ 78) अप्पिं अप्पु मुणंतु जिउ सम्मादिहि हवेइ ।
सम्माइहिउ जीवडउ लहु कम्मइँ सुच्चेइ ।। ७६ ॥ 79) पज्जय-रत्तउ जीवडउ मिच्छादिहि हवेइ।।
बंधइ बहु-विह-कम्मडा जे संसारु भमेइ ।। ७७ ॥ 80) कम्महँ दिढ-घण-चिक्कणइँ गरुवइ वज्ज-समार।
णाण-वियक्रवणु जीवडउ उप्पहि पाहि ता ।। ७८ ॥ 81) जिउ मिच्छत्ते परिणमिउ विवरिउ तच्चु मुणेइ । ____ कम्म-विणिम्मिय भावडा ते अप्पाणु भणेइ ।। ७९ ।। 82) हउँ गोरउ हउँ सामलउ हउँ जि विमिण्णउ वण्णु ।
हउँ तणु-अंगउँ थूल हउँ एहउँ मूढउ मण्णु ॥ ८० ॥ 83) हउँ वरु बंभणु वइसु हउँ हउँ खत्तिउ हउँ सेसु ।
पुरिसु णउंसउ इत्थि हउँ मण्णइ मूह विसेसु ।। ८१ ।। 84) तरुणउ बूढउ रूयडउ सूरउ पंडिउ दिषु ।
खवणउ बंदउ सेवडउ मूढउ मण्णइ सव्वु ।। ८२ ॥ 85) जणणी जणणु वि कंत घरु पुत्तु वि मित्तु वि दव्यु ।
माया-जालु वि अप्पणउ मूढउ मण्णइ सन्षु ॥ ८३ ॥ 86) दुक्खहँ कारणि जे विसय ते सुह-हेउ रमेइ ।
मिछाइटिउ जीवडउ इत्थु ण काइँ करेइ ।। ८४ ।। 87) काल लहेविणु जोइया जिम जिम मोह गलेह ।
तिमु तिमु देसणु लहइ जिउ णियमें अप्पु मुणेइ ।। ८५ ॥ 77) TKM अट्टहे कम्महे (sometimes हे looks like हि), सयळहि दोसहि, जाणि for भावि. 78) TRA अप्पे, अप्प for अप्पि; TKM Bc सम्माइट्टि; TKM कम्महि. 79) KM मिच्छाइद्रि 1 °यिट्रि: TM बहुविर कम्माडा, but T has the same reading as adopted in our Text; for 0 AB जि,
जिणि and TK चिरु. 80) TKM गुरुवइ ; Bc अप्पहि for उप्पहि; TKM पाडइ ताइ.81) AC मिच्छत्ति; TKM परिणमइ ; TKN भावाडा. 82) Wanting in TKM ; सायलउ. 83) Wanting in TKM; A मूढ़, 84) TKM युद्ध [] उ; BCTKM रूवडउ ; K खमणउ, ABC खवणउं; TKM युद्दउ [बुद्धउ] for वंदउ ; c मूल विमण्णइ सम्खु 85) c मायाजाल ; KM मूद्ध विमण्णइ सन्यु (T has a corrupt reading). 86) BCTKM कारण : c विसTKM मिच्छाइट्टि; TKM एल्थु for इत्थु ; Bc काs for काई. 87) A जिम्व जिम्ब, c जिम जिम, TKM जेब जेव; for तिमु too the readings are similar in these Mss. ; A गियमि.
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