Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 481
________________ ३२० जोइंदु-विरह [ 10 : १-१०10) चउ गइ-दुक्खहँ तत्ताहँ जो परमप्पउ कोइ। चउ-गइ-दुक्ख-विणासयरु कहहु पसाएँ सो वि ॥ १० ॥ 11) पुणु पुणु पणविवि पंच-गुरु भावे चित्ति धरेवि । भट्टपहायर णिसुणि तुहुँ अप्पा तिविहु कहेवि (वि* ?) ॥ ११ ॥ 12) अप्पा ति-विहु मुणेवि लहु मूढउ मेल्लहि भाउ । मुणि सण्णाणे णाणमउ जो परमप्प-सहाउ ॥ १२ ॥ 13) मृदु वियक्खणु बंभु परु अप्पा ति-विहु हवेइ। देह जि अप्पा जो मुणइ सो जणु मृदु हवेइ ॥ १३ ॥ 14) देह-विभिण्णउ णाणमउ जो परमप्पु णिएइ।। परम-समाहि-परिट्ठियउ पंडिउ सो जि हवेइ ॥ १४ ॥ 15) अप्पा लद्धउ णाणमउ कम्म-विमुक्के जेण । मेल्लिवि सयलु वि दवु परु सो पर मुणहि मणेण ॥ १५ ॥ 16) तिहुयण-वंदिउ सिद्धि-गउ हरि-हर झायहि जो जि । लक्खु अलक्खे धरिवि थिरु मुणि परमप्पउ सो जि ॥ १६ ॥ 17) णिचु णिरंजणु णाणमउ परमाणंद-सहाउ । जो एहउ सो संतु सिउ तासु मुणिज्जहि भाउ ॥ १७ ॥ 18) जो णिय-भाउ ण परिहरइ जो पर-भाउ ण लेइ । जाणइ सयलु वि णिचु पर सो सिउ संतु हवेइ ॥ १८ ॥ 19) जासु ण वण्णु ण गंधु रमु जामु ण सद्द ण फासु । जासु ण जम्मणु मरणु ण वि गाउ णिरंजणु तासु ॥ १९ ॥ 20) जासु ण कोहु ण मोहु मउ जासु ण माय ण माणु । जासु ण ठाणु ण झाणु जिय सो जिणिरंजणु जाणु ॥ २० ॥ 21) अत्थि ण पुण्णु ण पाउ जसु अत्थि ण हरिसु विसाउ । अस्थि ण एकु वि दोसु जसु सो जिणिरंजणु भाउ ॥ २१ ॥ तियलं । 10) Wanting in TKM. 11) Wanting in TKM ; AB भाविं. 12) TKK लहुं ; A मिल्लाहिं, । मेल्लवि; B सण्णाणिं, TKM सण्णाणे ; KM णाणमओ 13) c मूढ ; TKM मूढविलक्खणु बम्हु. 14) A 'विभिण्णउं. देहह भिण्णउ: Bणाणमउं, KM णाणमओ; TKM णिएहि, but in the commentary of K it is repeated as णिएइ ; T पंडिय ; TKM सोजि. 15) Mणाणमओ; B विमुकि. TKM विमुक्के; A मिल्लिवि; c दव्वु तुहुँ, TKM दब्बु. 16) Wanting in TKM. 17) TKM संत, मुणिजसु ; M भाओ. 18) TKM परु; c सिव for सिउ. 19) c वण्ण ; AC गंध; B जमणु ; TK पासु for फासु. 20) Wanting in TKM. 21) K misses the text of this doha, but it is, however, explained in the commentary: T४ हरुसु : M विसाओ; A इक्क वि, c इक्कु वि ; TM सोजि and भावि for भाउ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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