Book Title: Parmatmaprakasha and Yogsara
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 480
________________ जोइन्दु-विरइउ परमप्प-पयास 1) जे जाया झाणग्गियएँ कम्म-कलंक डहेवि । णिच्च-णिरंजण-णाण-मय ते परमप्प णवेवि ॥१॥ 2) ते बंदउँ सिरि-सिद्ध-गण होसहि जे वि अणंत । सिवमय-णिरुवम-णाणमय परम-समाहि भजंत ॥ २॥ 3) ते हउँ वंदउँ सिद्धगण अच्छहि जे वि हवंत । परम-समाहि-महग्गियएँ कम्भिधणइँ हुणंत ॥ ३॥ 4) ते पुणु वंदउँ सिद्ध-गण जे णिव्वाणि वसति । __णाणिं तिहुयणि गरुया वि भव-सायरि ण पडंति ॥ ४ ॥ 5) ते पुणु वंदउँ सिद्ध-गण जे अप्पाणि वसंत । लोयालोउ वि सयलु इहु अच्छहि विमलु णियंत ॥ ५॥ 6) केवल-दंसण-णाणमय केवल-सुक्ख-सहाव । जिणवर वंदउँ भत्तियए जेहि पयासिय भाव ॥ ६॥ 7) जे परमप्पु णियंति मुणि परम-समाहि धरेवि । परमाणेदह कारणिण तिणि वि ते वि णवेवि ॥ ७ ॥ 8) भाविं पणविवि पंच-गुरु सिरि-जोइंदु-जिणाउ । भट्टपहायरि विष्णविउ विमलु करेविणु भाउ ॥ ८॥ 9) गउ संसारि वसंताह सामिय कालु अणंतु । पर मइँ कि पि ण पत्तु मुहु दुक्खु जि पत्तु महंतु ॥ ९ ॥ 1) TKM झाणग्गिये ; ATKM °णाणमया; B misses this doha and gives in its place the opening mangala verse Facta77% etc. which is numbered as 1 ; c numbers the same mangala verse as 1 and this doha as 2. 2) This doha is wanting in TKA%3D A ते हडं वंदउं, होसहि, णाणमया. 3) Wanting in TKM ; AB महग्गियई for महग्गियएं. 4) Wanting in TKM; AC णाणे. 5) Wanting in TKM ; A लोयालोय, while in the Com. लोउ; c वसंति; AC णियति, while in the Com. of A णियंता. 6) Wanting in TKM; A वंदउ ; B भत्तियई. 7) Wanting in TKM 3c परमाणंदहं. 8) Wanting in TKM. 9) Wanting in TRM. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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